Move to Jagran APP

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- भाषा को बोझ न मानें, आर्थिक स्वावलंबन में मददगार

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शताब्दी वर्ष में भारतीय भाषा महोत्सव एक बड़ा कदम है। हम सभी को पता है कि किसी भी मनुष्य की अभिव्यक्ति का आधार उसकी भाषा होती है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 01:25 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 04:14 PM (IST)
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- भाषा को बोझ न मानें, आर्थिक स्वावलंबन में मददगार
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- भाषा को बोझ न मानें, आर्थिक स्वावलंबन में मददगार

लखनऊ, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को तीन दिनी भारतीय भाषा महोत्सव का आगाज किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी  व आधुनिक भारतीय भाषा विभाग और उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहे इस महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। इसको उन्होंने आर्थिक स्वावलंबन से भी जोड़ा।

loksabha election banner

भाषा संस्थान और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से शनिवार को मालवीय सभागार में तीन दिवसीय भारतीय भाषा महोत्सव 2020 के शुभारंभ अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शताब्दी वर्ष में भारतीय भाषा महोत्सव एक बड़ा कदम है। हम सभी को पता है कि किसी भी मनुष्य की अभिव्यक्ति का आधार उसकी भाषा होती है। हर किसी के संवाद का माध्यम भी भाषा होती है। इसके बगैर अभिव्यक्ति संभव नहीं है। इसके बाद भी हमसे चूक हो जाती है। जिस भाव के साथ हम अपनी भाषा को व्यक्त करते है, वही हमारी ताकत है। भाषा, रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम है।

संस्कृत को भारत के ऋषि बहुत पहले रोजगार से जोड़ चुके हैं। मेरा मानना है कि संस्कृत पढ़ने वाला व्यक्ति कभी भूख से नहीं मर सकता, बशर्ते वह अपनी बुद्धि का उपयोग सही ढंग से करे। आप एक भाषा सीख लो तो आपका रास्ता आसान हो जाएगा। भाषा में मजबूती वाले यूपी मूल के शिक्षक पूरे देश में हैं। उन्होंने कहा कि भाषा को बोझ न मान आर्थिक स्वावलंबन बनाएं। प्रदेश सरकार की इंटर्नशिप स्कीम भाषा के साथ भी लागू होगी। यह तो हर जनपद में यूथ हब बनाने की स्कीम है। संस्कृत का व्यक्ति पुरोहित का कार्य करता है तो लोग उसे दक्षिणा भी देते हैं और पैर भी छूते हैं, इससे बड़ा सम्मान नहीं हो सकता। अवधी को भले ही भारतीय संविधान ने मान्यता न दी हो लेकिन भारत का जन-जन प्रतिदिन समर्थन देकर श्रीरामचरितमानस पढ़ता है। यह भारत की वास्तविक ताकत है और हमें इसे पहचानना होगा।

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हम आज भी अपने आपको पहचानने में भूल कर रहे हैं। तुलसीदास जी ने अवधी में श्रीरामचरितमानस के माध्यम से बहुत कुछ दिया। भक्ति के माध्यम से देश की स्वाधीनता की शक्ति को जगाने की ऊर्जा श्रीरामचरितमानस ने दी। श्रीरामचरितमानस किसी बंधन में नहीं बंधा है। यह हिंदी, संस्कृत, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ में रचित है। लौकिक संस्कृति का दुनिया में सबसे बड़ा महाकाव्य भारत ने दिया है। 'महाभारत' के रूप में एक ऐसा ग्रंथ भारतीय मनीषा ने दिया है जिसमें पूरे दम के साथ यह कहने का साहस है कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष यह चार मानवीय पुरुषार्थ हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष से संबंधित जो कुछ भी है, वह इस ग्रंथ में है, और जो इसमें नहीं है वह अन्यत्र कहीं नहीं है। एक सामान्य व्यक्ति के मन में एक भावना फूटती है, अचानक उसके मुंह से एक श्लोक फूट पड़ता है और दुनिया के सबसे महान काव्य 'रामायण' की रचना होती है। शब्द को जिस भावना से कहा गया वही उसकी ताकत को बढ़ाता है। भारतीय मनीषा ने शब्द को 'ब्रह्म' कहा है। ब्रह्म सत्य है और शाश्वत है। भाषा के शाश्वत रूप को पहचानना और उसके अनुरूप लोगों के लिए सुलभ बना देना ही अमर कृति का निर्माण करता है। जहां पर भी शब्द द्वारा हमारे साहित्यकारों ने इस ब्रह्म तत्व को समझने का प्रयास किया है, वहीं शब्द 'ब्रह्म' बन जाता है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि  महात्मा गांधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया और हिंदी के माध्यम से सभी को जोड़ने का प्रयास किया। जिन अंग्रेजों के बारे में कहा गया कि उनके राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता, उन्हें अपना बोरिया-बिस्तर लेकर देश से भागना पड़ा। जब महात्मा गांधी जी के हाथों में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व आया तो उन्होंने प्रखरता से कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है। उन्होंने हिंदी को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने की वकालत की। यह वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का 150वां जयंती वर्ष तथा लखनऊ वि.वि. का शताब्दी वर्ष है। इस महोत्सव का आयोजन भारतीय भाषा के प्रति हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम बनेगा। इसके लिए मैं लखनऊ विश्वविद्यालय को हृदय से धन्यवाद देता हूं। भारतीय भाषा महोत्सव - 2020 का उद्घाटन करते हुए मुझे अत्यंत आनंद की अनुभूति हो रही है। प्रदेश की राजधानी में भारतीय साधना और संस्कृति का आधार भारतीय भाषा के मनीषियों की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण संदेश दे रही है।

उन्होंने कहा कि संस्कृत के माध्यम से और हिंदी व अंग्रेजी की व्यावहारिक जानकारी प्राप्त कर हम, देव मंदिर को कई लोगों के लिए रोजगार का माध्यम बना सकते हैं। देश और दुनिया में ऐसे कई विश्वविद्यालय हैं, जहां संस्कृत और हिंदी पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षकों की आवश्यकता है। ऐसे में विश्वविद्यालय यदि भाषाओं के बारे में शिक्षा देना आरंभ कर दें तो दुनिया भर में शिक्षकों की आवश्यकता को पूर्ण किया जा सकता है। मंदिरों में जाने पर लोग जबरदस्ती रक्षासूत्र बांधकर होने वाली पंडागिरी से बहुत परेशान होते थे। हमने इस समस्या का भी समाधान निकाला। हमने तय किया कि कोई भी पंडा या पुरोहित अपने अनुसार पूजा नहीं करवाएगा। डेढ़ वर्ष के भीतर जब 'काशी विश्वनाथ धाम' की प्रधानमंत्री की परिकल्पना पूर्ण होगी, तब काशीवासियों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को भारत में भगवान विश्वनाथ का ऐसा पवित्र धाम मिलेगा, जैसा उनके धाम को होना चाहिए। हमने कार्ययोजना के अनुसार 300 मकान खरीदे। जिनके अंदर हमने 67 मंदिर पाए। उन्हें संरक्षित किया जा रहा है। आज अगर आप काशी जाएंगे तो आपको 5 फीट नहीं 50 फीट चौड़ा रास्ता मंदिर में जाने के लिए मिलेगा।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सौ वर्ष पहले जब गांधी जी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में आए तो वे काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए गए। उन्होंने काशी की मात्र 5 फीट चौड़ी गलियों की गंदगी और कीचड़ को लेकर कुछ बातें कही थीं। प्रधानमंत्री ने मुझे वह ऑडियो दिया। हमने ध्यान से उस ऑडियो को सुना, चुनौती को स्वीकार किया और एक कार्ययोजना तैयार की गई।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब उर्दू-फारसी-अरबी को ही क्यों, हर विश्वविद्यालय भाषा संस्थान के रूप में काम करें। हर एक क्षेत्र में व्यापक संभावना है। सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। विवि को इसका केंद बनना होगा। इस महोत्सव में देश-विदेश के भारतीय भाषा के लगभग 200 साहित्यकार शामिल हैं। इस महोत्सव में भाषा साहित्य से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर विचार विमर्श हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.