Chinmayanand Case : दो महीने 19 दिन बाद आया स्वामी चिन्मयानंद की जमानत पर फैसला
Chinmayanand Case पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद को एलएलएम छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में एसआइटी ने 20 सितंबर 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
शाहजहांपुर, जेएनएन। दो महीने 19 दिन के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को राहत मिली। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली है। आदेश की कॉपी पहुंचने के साथ ही तीन से चार दिनों में उनकी रिहाई हो सकती है। चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिंग के आरोपित पहले ही जमानत पर जेल से रिहा हो चुके हैं।
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद को एलएलएम छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में विशेष जांच दल (एसआइटी) ने 20 सितंबर, 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसी दिन उनसे ब्लैकमेलिंग के आरोपित संजय सिंह, विक्रम सिंह व सचिन सेंगर को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जबकि 25 सितंबर, 2019 को ब्लैकमेलिंग के आरोप में दुष्कर्म पीड़ित छात्रा को भी एसआइटी ने गिरफ्तार कर लिया था।
चिन्मयानंद की ओर से हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की गई थी, जिस पर 16 नवंबर, 2019 को बहस पूरी हो गई, लेकिन हाई कोर्ट ने फैसला सुनाने की बजाय सुरक्षित रख लिया था। इस बीच छात्रा व तीनों आरोपित युवकों की जमानत मंजूर हो गई और वे सभी जमानत पर जेल से बाहर भी आ गए, लेकिन चिन्मयानंद को जमानत पर फैसले का इंतजार था। सोमवार को जमानत याचिका मंजूर किए जाने की जानकारी मिलते ही उन्हें राहत मिली।
यह है पूरा मामला
24 अगस्त, 2019 को शाहजहांपुर लॉ छात्रा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर वीडियो अपलोड किया था, जिसके बाद वह लापता हो गई थी। इसी दिन चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह ने अज्ञात के खिलाफ पांच करोड़ की रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया था। अगले दिन 25 अगस्त, 2019 को छात्रा के पिता की ओर से चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म के आरोप लगाते हुए चौक कोतवाली में तहरीर दी थी। 27 अगस्त, 2019 को वकीलों के पैनल की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान लिया, जिसके बाद चिन्मयानंद पर अपहरण व धमकी देने का मुकदमा दर्ज हुआ था।
29 अगस्त, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने छात्रा को सुरक्षित बरामद कर पेश करने का आदेश दिया था। 30 अगस्त, 2019 को पुलिस ने राजस्थान के दौसा जिले से छात्रा को बरामद कर सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था। छात्रा के बयान के बाद कोर्ट के आदेश पर तीन सितंबर को शासन ने आइजी नवीन अरोड़ा के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया था। पांच सितंबर, 2019 को छात्रा ने दिल्ली के लोधी कालोनी थाने में चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म की जीरो क्राइम नंबर पर एफआइआर कराई दर्ज थी।
दो याचिका हुई थीं खारिज
चिन्मयानंद ने छात्रा की ओर से लगे दुष्कर्म के आरोप में लगी धाराओं को बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर स्वयं को भी पक्षकार बनाए जाने की याचिका दायर की थी, जिसे पिछले दिनों हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। उन्होंने पेरोल मांगी थी, उसे भी अस्वीकार कर दिया गया था।