बंगाल में रथयात्रा निकालने की तीन संभावित तारीख दे भाजपाः कोलकाता हाई कोर्ट
Rath Yatra in west bengal. कोलकाता हाई कोर्ट ने भाजपा से बंगाल में रथयात्रा निकालने की तीन संभावित तारीख देने को कहा है।
कोलकाता, एएनआइ। कोलकाता हाई कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बंगाल में रथयात्रा निकालने की तीन संभावित तारीख देने को कहा है। साथ ही, कोर्ट ने ममता सरकार और भाजपा नेताओं के बीच हुई बैठक की फुटेज भी जमा करने को कहा है। मामले की बुधवार को अगली सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्यभर के सभी 42 लोकसभा केंद्रों में भाजपा द्वारा निकाली जाने वाली लोकतंत्र बचाओ यात्रा को राज्य सरकार की अनुमति नहीं मिलने के खिलाफ एक बार फिर पार्टी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। सोमवार सुबह 10:30 बजे के करीब भाजपा की ओर से न्यायमूर्ति तपोव्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ में याचिका दायर की गई। अदालत ने राज्य सरकार को भी इसमें पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय के खंडपीठ के निर्देशानुसार गत शनिवार को राज्य सरकार ने भाजपा की रथ यात्रा को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया है और चिट्ठी के जरिए साफ किया है कि राज्य सरकार को इंटेलिजेंस ब्यूरो और जिला प्रशासन से ऐसी रिपोर्ट मिली है कि भाजपा की इस यात्रा को केंद्र कर विभिन्न क्षेत्रों में सांप्रदायिक संघर्ष की घटनाएं हो सकती हैं। इस लिहाज से इन रथ यात्राओं को अनुमति नहीं दी जा सकेगी। अगर भाजपा चाहे तो प्रत्येक क्षेत्र में नए सिरे से रथयात्रा का आवेदन जिला प्रशासन के पास कर सकती है। इसके खिलाफ भाजपा ने सोमवार को जो याचिका दायर की है, उसमे इस बात का जिक्र किया गया है कि एक राजनीतिक पार्टी को प्रत्येक क्षेत्र में अपनी जनसभाएं और कार्यक्रम करने का लोकतांत्रिक अधिकार है और राज्य सरकार इसे कानून व्यवस्था की आड़ में छीन रही है। भाजपा का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना और राजनीतिक पार्टियों की जनसभाओं को सुरक्षा देना राज्य सरकार का काम है ना कि रोड़ा बनना।
इस बारे में पूछने पर भाजपा के प्रदेश महासचिव और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रताप बनर्जी ने बताया कि सोमवार को न्यायालय में याचिका दायर की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी राजनीतिक पार्टियों को किसी भी क्षेत्र में जनसभा करने का लोकतांत्रिक अधिकार है और इस अधिकार को देने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। कानून व्यवस्था संभालना और सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार का काम है। इसकी आड़ में किसी की जनसभा नहीं रोकी जा सकती है। उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले के प्रति भाजपा आशान्वित है।
भाजपा की लोकतंत्र बचाओ यात्रा सात दिसंबर से शुरू होने वाली थी, उसका उद्घाटन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह करने वाले थे लेकिन राज्य सरकार ने संभावित सांप्रदायिक संघर्ष के मद्देनजर यात्रा को अनुमति देने से इन्कार कर दिया था, जिसके बाद दिसंबर में कलकत्ता उच्च न्यायालय के एकल पीठ में मामले की सुनवाई हुई थी और राज्य सरकार की कथित आइबी रिपोर्ट को आधार बनाकर कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने भाजपा की लोकतंत्र बचाओ रथ यात्रा पर नौ जनवरी तक स्थगनादेश जारी कर दिया था। उस दौरान भी न्यायमूर्ति तपोव्रत चक्रवर्ती की अदालत में ही फैसला हुआ था, जिसे न्यायाधीश विश्र्वनाथ समाद्दार और अरिंदम मुखर्जी की खंडपीठ ने 7 दिसंबर को खारिज कर दिया था और राज्य के मुख्य सचिव मलय दे, गृह सचिव अत्री भट्टाचार्य और राज्य पुलिस महानिदेशक विरेंद्र कुमार को भाजपा के तीन नेताओं के साथ बैठक कर राज्य सरकार का पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
इसके अनुसार गत शनिवार को राज्य सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए साफ कर दिया है कि भाजपा की रथ यात्राओं को केंद्र कर सांप्रदायिक संघर्ष की घटनाएं हो सकती हैं, इसीलिए अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके पहले छह दिसंबर को उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति तपोव्रत चक्रवर्ती की एकल पीठ में राज्य सरकार के महाधिवक्ता किशोर दत्त ने कूचबिहार जिले के एसपी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा था कि भाजपा की रथयात्राओं को केंद्र कर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं घट सकती हैं, इसीलिए कानून व्यवस्था को देखते हुए रथ यात्राओं को अनुमति नहीं दी जा सकती। सात दिसंबर से ही भाजपा की रथ यात्राओं की शुरुआत होनी थी, जिसका उद्घाटन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह करने वाले थे लेकिन न्यायालय से अनुमति नहीं मिलने की वजह से फिलहाल पार्टी की ओर से रथ यात्रा को स्थगित किया गया है।