Move to Jagran APP

अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में 148 खनन पट्टों में गड़बड़ी, लगा 226 करोड़ का चूना

CAG Report on Mining in UP सीएजी ने पर्यावरण मंजूरी में निर्धारित सीमा से अधिक उपखनिजों के खनन पर आपत्ति जताई है। अवैध खनन से 1.66 करोड़ रुपये की रॉयल्टी का नुकसान हुआ।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 12:35 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 12:35 PM (IST)
अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में 148 खनन पट्टों में गड़बड़ी, लगा 226 करोड़ का चूना
अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में 148 खनन पट्टों में गड़बड़ी, लगा 226 करोड़ का चूना

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के दौरान भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में 226 करोड़ रुपये की अनियमितता सामने आई है। यह मामला वर्ष 2016-17 का है। यह गड़बड़ी नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने पकड़ी है। उन्होंने 336 खनन पट्टों की नमूना जांच की, जिसमें 148 पट्टों में कुल 175 अनियमितताएं सामने आईं हैं। इनमें रायल्टी कम या न वसूल किया जाना, ब्याज या अर्थदंड न लगाया जाना, खनिज मूल्य की वसूली न करने के साथ ही तमाम प्रकार की अन्य अनियमितताएं शामिल हैं।

loksabha election banner

सीएजी ने जिन बिंदुओं पर आपत्ति की है उनमें राजस्व वसूली की उचित निगरानी न करने, ई-टेंडङ्क्षरग का अनुपालन न करने व कोषागारों से चालानों का सत्यापन न करना आदि है। जांच में वर्ष 2012-13 से लेकर वर्ष 2016-17 के बीच 5219 ठेकेदारों से 698 करोड़ रुपये की वसूली न किए जाने का मामला भी सामने आया है। सीएजी ने कहा कि इस मामले को पांच वर्षों में कई बार इंगित किया जा चुका है। उपखनिज ले जाने के लिए परिवहन परमिट न लेने पर भी आपत्ति जताई गई है। सीएजी ने इस तरह के 334 मामले पकड़े हैं। इससे सरकार को 26.27 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

सीएजी ने पर्यावरण मंजूरी में निर्धारित सीमा से अधिक उपखनिजों के खनन पर आपत्ति जताई है। अवैध रूप से हुए इस खनन से 1.66 करोड़ रुपये की रॉयल्टी का नुकसान हुआ। खनन योजना के उल्लंघन का मामला भी सामने आया है। इसमें भी निर्धारित सीमा से अधिक खनन किया गया। इससे 3.35 करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गई।

बिना पर्यावरण मंजूरी ईंट मिट्टी का खनन

सीएजी ने बिना पर्यावरण मंजूरी के ईंट-भट्ठा व्यवसायियों द्वारा मिट्टी के खनन पर भी आपत्ति जताई है। वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में हमीरपुर व जालौन में संचालित 72 ईंट-भट्ठों में से 36 ऐसे थे जो बगैर पर्यावरण मंजूरी के चल रहे थे। बिना मंजूरी मिट्टी का खनन अवैध था। इसे रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई साथ ही मिट्टी रायल्टी का 1.77 करोड़ रुपये भी नहीं वसूला गया।

डेड रेंट में हुई कम वसूली

19 पट्टाधारकों ने फरवरी 2012 से नवंबर 2017 के बीच अपरिहार्य भाटक (डेड रेंट) के रूप में 2.09 करोड़ रुपये कम जमा किए। अपरिहार्य भाटक वह न्यूनतम धनराशि होती है जिसे विभाग पट्टाधारकों पर लगाता है। खनन कार्य न होने पर भी यह न्यूनतम धनराशि देनी पड़ती है। सीएजी के जांच में पाया गया कि पट्टाधारकों को 3.94 करोड़ रुपये जमा करने थे लेकिन 1.85 करोड़ रुपये ही जमा हुए। अफसरों ने बकाया वसूली का कोई प्रयास नहंी किया।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.