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BSP की एक बार फिर ब्राह्मण वोटों को साधने की कवायद, रितेश पाण्डेय लोकसभा में पार्टी के नेता

BSP Chief Mayawati मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश बसपा के अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता एक ही समुदाय का होने से यह परिवर्तन किया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 09:04 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 07:21 AM (IST)
BSP की एक बार फिर ब्राह्मण वोटों को साधने की कवायद, रितेश पाण्डेय लोकसभा में पार्टी के नेता
BSP की एक बार फिर ब्राह्मण वोटों को साधने की कवायद, रितेश पाण्डेय लोकसभा में पार्टी के नेता

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में लगातार प्रयोग करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा में अपनी पार्टी के बार-बार नेता बदलने में भी संकोच नहीं किया है। बसपा ने सात महीने में चार बार संसदीय दल के नेता को बदला है। अब उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर से सांसद रितेश पाण्डेय को जिम्मेदारी दी गई है। बसपा मुखिया मायावती ने इस बदलाव की जानकारी ट्वीट से दी है।

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस बाबत सफाई भी दी है। मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश बसपा के अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता एक ही समुदाय का होने से यह परिवर्तन किया गया है। इसके साथ ही लोकसभा में बसपा के उप नेता मलूक नागर होंगे। बसपा प्रमुख मायावती उत्तर प्रदेश में अपने मूल दलित वोटबैंक के अतरिक्त समुदायों के वोटबैंक को अपने पाले में लाने की लगातार कवायद कर रही हैं। इसी कारण पिछले सात महीनों में तीन समुदाय के नेताओं को संसदीय दल का नेता बनाकर राजनीतिक प्रयोग कर रही हैं। इनमें अभी तक वो कामयाब नहीं हो सकी हैं।

सात महीने में चौथी बार बदला नेता सदन

बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। बसपा ने 38 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे और पार्टी ने दस लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। मायावती ने लोकसभा में बसपा के संसदीय दल के नेता के तौर अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली को चुना था। कर्नाटक में बसपा के प्रभारी रहे कुंवर दानिश अली की पहले सत्र के बाद ही उनकी छुट्टी कर दी गई। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के लिए कदम उठाया तो मायावती सरकार के फैसले के साथ थी जबकि दानिश अली इसके खिलाफ थे। मायावती ने दानिश अली को उनके पद से हटाकर जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव को नेता सदन बना दिया था। मायावती ने श्याम सिंह यादव को ऐसे समय में लोकसभा में पार्टी नेता बनाया था, जब उन्होंने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोडऩे का ऐलान किया था। बसपा प्रमुख ने श्याम सिंह के बहाने यादव समुदाय को साधने का दांव चला था।

इसके बाद उपचुनाव में जिस तरह से यादव समुदाय ने बसपा के बजाय समाजवादी पार्टी को वरीयता दी, उससे श्याम सिंह यादव पर खतरा मंडराने लगा। इतना ही नहीं श्याम सिंह यादव का दिल भी यादव समाज के लिए पिघलने लगा वो जौनपुर में सपा कार्यालय पहुंच गए और कहा था कि आप लोगों की वजह से ही जीता हूं और आपके बीच हमेशा आता रहूंगा। पहली बार लोकसभा पहुंचे श्याम सिंह यादव भी इस पद पर अधिक समय तक नहीं टिक सके। जौनपुर में सपा कार्यालय जाने के कारण मायावती ने श्याम सिंह यादव को संसदीय दल के नेता पद से हटाकर एक बार फिर से दानिश अली को जिम्मेदारी सौंप दी। अब दानिश अली की जगह पर अम्बेडकरनगर से सांसद रितेश पाण्डेय को लोकसभा में नेता सदन का पद दिया गया है। रितेश पाण्डेय के पिता राकेश पाण्डेय भी अम्बेडकरनगर से बसपा के सांसद रहे हैं। इससे पहले, अमरोहा के सांसद कुंवर दानिश अली और जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव को नेता सदन बनाया गया था। विगत सात माह में चौथी बार बसपा ने अपना नेता सदन बदला है।

मायावती ने इसको लेकर ट्वीट किया है कि बसपा में सामाजिक सामंजस्य बनाने के मद्देनजर लोकसभा में पार्टी के नेता व उत्तर प्रदेश के स्टेट अध्यक्ष भी, एक ही समुदाय के होने के नाते इसमें थोड़ा परिवर्तन किया गया है। अब लोकसभा में बीएसपी के नेता रितेश पाण्डेय व उपनेता मलूक नागर को बना दिया गया है। उत्तर प्रदेश स्टेट के अध्यक्ष मुनकाद अली अपने इसी पद पर बने रहेंगे। लालजी वर्मा विधानसभा में और विधान परिषद में और दिनेश चंद्रा पार्टी के नेता सदन बने रहेंगे।

रितेश की ताजपोशी ब्राह्मणों को साधने की कवायद

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार सक्रियता से मायावती चिंतित नजर आ रही हैं। अब बसपा प्रमुख ने अपने राजनीतिक समीकरण को दुरुस्त करने के लिए दानिश अली की छुट्टी कर रितेश पाण्डेय को संसदीय दल का नेता बनाया है। माना जा रहा है कि बसपा प्रमुख इस बदलाव के बहाने सूबे के ब्राह्मणों को साधने की कवायद की है। प्रियंका गांधी की सक्रियता से ब्राह्मणों के कांग्रेस में वापसी करने की संभावना दिख रही है। ऐसे में मायावती प्रियंका गांधी को भी निशाने पर ले रही हैं और अब ब्राह्मण समुदाय के रितेश पांडेय को सदन का नेता बनाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि इस दांव से मायावती ने भाजपा के एंटी ब्राह्मण वोटों को साधने की कवायद है। इस फैसले से एक बात और साफ है कि मायावती ने जातीय और धार्मिक समीकरण को दुरुस्त करने के लिए यह फैसला लिया है। 


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