Rajasthan: गेरुआ वस्त्र पहने हाथ में मिट्टी का घड़ा लेकर विधानसभा पहुंचे विधायक, जाएंगे अयोध्या
Rajasthan Assembly सुरक्षाकर्मियों ने जब विधायक को रोका तो उन्होंने कहा कि विधानसभा को लोकतंत्र का मंदिर मानकर प्रदेश के 181 मंदिरों की मिट्टी इस घड़े में लेकर यहां आए हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। गेरूआ रंग का वस्त्र पहने हुए भाजपा विधायक सुरेश रावत एक बड़ा घड़ा (मिट्टी का मटका) लेकर विधानसभा पहुंचे। विधायक के वस्त्र और हाथ में मिट्टी घड़ा देख कर एक बार तो सब चौक गए। सुरक्षाकर्मियों ने जब रावत को रोका तो उन्होंने कहा कि विधानसभा को लोकतंत्र का मंदिर मानकर प्रदेश के 181 मंदिरों की मिट्टी इस घड़े में लेकर यहां आए हैं। रावत ने बताया कि पिछले एक महीने से वह राजस्थान के 181 बड़े मंदिरों की मिट्टी इस घड़े में एकत्रित कर रहे थे और अब यहां लेकर आए हैं। वे खुद अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रदेश के प्रमुख मंदिरों में गए।
अब शनिवार को अयोध्या जाकर राम मंदिर ट्रस्ट को प्रदेश के मंदिरों की पवित्र मिट्टी सौंपेंगे। रावत ने घड़े पर लिखवा रखा था कि राम मंदिर के लिए मिट्टी इकट्ठा करने का पात्र है। रावत घड़े को लेकर विधानसभा के अंदर गए और फिर बाहर आकर प्रांगण में बने शिव मंदिर से मिट्टी निकालकर घड़े में डाली। राम मंदिर के लिए मिट्टी इकट्ठा करने के नाम पर सुरक्षाकर्मियों ने भी विधायक को नहीं रोका। रावत ने कहा कि सैकड़ों साल पुरानी हिंदुओं की इच्छा पूरी हो रही है ऐसे में मेरी इच्छा थी कि प्रदेश के मंदिरों की मिट्टी भी राम मंदिर के काम आए।पहले सभी मंदिरों में गया और अब अंत में लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा की मिट्टी भी मैं लेकर आया हूं।
सदन में लगे जय श्रीराम के नारे
राज्य विधानसभा में शुक्रवार को भाजपा विधायकों ने जय श्रीराम के नारे लगाए। दरअसल, कोरोना महामारी को लेकर भाजपा विधायक ने आरोप लगाया कि तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों के आने के कारण प्रदेश में संक्रमण फैला। इसके बाद जब कांग्रेस विधायक रफीक खान बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने मदन दिलावर की बात का उल्लेख करने का प्रयास किया। इसी बीच, दिलावर सहित भाजपा के विधायकों ने जय श्रीराम के नारे लगाए। हालांकि बाद में सभापति ने मामला शांत कराया।
सचिन पायलट सदन में नहीं पहुंचे
सचिन पायलट का विधानसभा में नहीं पहुंचना पक्ष-विपक्ष के बीच चर्चा का मुद्दा बना रहा। दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ 35 दिन तक चले विवाद के दौरान पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। उप मुख्यमंत्री रहते हुए वे विधानसभा में मुख्यमंत्री के बगल वाली सोफा पर बैठते थे, लेकिन पद से हटाने के बाद गत शुक्रवार को सरकार के विश्वासमत हासिल करने के दौरान पायलट को पीछे गैलरी में कुर्सी पर बिठाया गया। यह कुर्सी परिवहन मंत्री प्रताप सिंह के पीछे लगाई गई। इस पर पायलट ने नाराजगी जताई। यह माना जा रहा है कि अपने बैठने की व्यवस्था से नाखुश पायलट इसी कारण शुक्रवार को विधानसभा में नहीं आए। उनके समर्थक विधायक भी कुछ देर के लिए ही आए।