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भाजपा पदाधिकारियों ने लिया फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का संकल्प

लोकसभा चुनाव को देखते हुए उत्तर बंगाल में भाजपा ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। बैठकों का सिलसिला जारी है।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 10:10 AM (IST)
भाजपा पदाधिकारियों ने लिया फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का संकल्प
भाजपा पदाधिकारियों ने लिया फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का संकल्प
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  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों पर आगे बढऩे का निर्णय
  • जीत के लिए कार्यकर्ताओं को भेजना होगा घर-घर

सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। भारतीय जनता पार्टी की ओर से मंगलवार को नार्थ बंगाल जोनल कमेटी की बैठक चर्च रोड स्थित सिलीगुड़ी मारवाड़ी पंचायत भवन में हुई। इसमें लोकसभा चुनाव में दोबारा पूर्ण बहुमत प्राप्त कर केंद्र में सरकार बनाने का संकल्प लिया गया। बैठक में प्रत्येक जिले के अध्यक्ष और महासचिव मौजूद थे।
    बैठक को प्रदेश के संगठन महासचिव सुब्रत चटर्जी, राजू बनर्जी व विधायक मनोज तिग्गा ने पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित किया। इस मौके पर जिलों से आए पदाधिकारियों से वहां की रिपोर्ट मांगी गई। मंडल स्तर पर आ रही परेशानियों की जानकारी ली। नेताओं ने पार्टी पदाधिकारियों को बताया कि जिन पंडित दीनदयाल के पदचिन्हों पर चलते हुए पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी है, भारत में लोकतंत्र की मजबूती के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। दीनदयाल उपाध्याय भारतीय विचारक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, इतिहासकार और पत्रकार थे। उन्होंने सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी बने।
  उन्होंने लोकतंत्र की अवधारणा को सरलता से स्वीकार किया, लेकिन पश्चिमी कुलीन तंत्र, शोषण और पूंजीवादी व्यवस्था को मानने से साफ इन्कार कर दिया था। भारतीय जनसंघ में दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया। वे लगातार दिसंबर 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे। उनकी कार्यक्षमता, खुफिया गतिविधियों और परिपूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके लिए गर्व से सम्मानपूर्वक कहते थे कि-यदि मेरे पास दो दीनदयाल हों तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं।
   अचानक वर्ष 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के युवा कंधों पर आ गयी। 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा की। दीनदयाल उपाध्याय की अवधारणा थी कि आजादी के बाद भारत का विकास का आधार अपनी भारतीय संस्कृति हो न कि अंग्रेजों द्वारा छोड़ी गई पश्चिमी विचारधारा। यह इसलिए बताना पड़ रहा है कि क्योंकि बंगाल में कुछ इसी प्रकार से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को आगे बढऩा होगा। माध्यमिक परीक्षा के बाद भाजपा की ओर से कई आंदोलनात्मक निर्णय भी लिया गया है, पार्टी नेताओं को इसके लिए काम करने को कहा गया है।  

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