Bihar Assembly Election 2020: महागठबंधन में ड्राइविंग सीट पर दिख रही कांग्रेस, मुश्किल में लालू
Bihar Assembly Election 2020 बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में कांग्रेस की सक्रियता बढ़ी हुई है। जबकि तेजस्वी यादव हाशिए पर ड्राइविंग सीट पर दिख रहे हैं।
पटना, अरविंद शर्मा। Bihar Assembly Election 2020: महागठबंधन (mahagathbandhan) के अंदरूनी हालात उलटे दिख रहे हैं। साल भर पहले लोकसभा चुनाव (LS Election) के दौरान कुनबे में विस्तार, दलों से समन्वय, रुठना-मनाना, साझा रणनीति और सीटों के बंटवारे जैसे मसलों पर निर्णय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व में हुआ करता था। कांग्रेस (Congress), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP), और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख नेता प्रत्येक बात पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर मुखातिब होते थे। उसके फैसलों पर सारे दलों की सहमति भी होती थी। परंतु अबकी तेजस्वी नेपथ्य में खड़े हैं। महागठबंधन की ड्राइविंग सीट पर कांग्रेस दिख रही है। पिछले तीन दिनों से बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल अन्य घटक दलों से समन्वय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस की अति सक्रियता बता रही, उलझने वाली है गुत्थी
सार्वजनिक तौर पर दावा तो किया जा रहा है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक है और चुनाव की अधिसूचना के पहले तक सारे मसले सुलझा लिए जाएंगे, लेकिन कांग्रेस की अति सक्रियता बता रही है कि गुत्थी फिर उलझने वाली है। स्टियरिंग से आरजेडी का नियंत्रण हटा तो बहुत कुछ उल्टा-पुल्टा हो सकता है। गठबंधन से किसी भी पार्टी को इनकार नहीं है, किंतु सवाल घटक दलों की भागीदारी को लेकर उठाए जा रहे हैं।
डिनर डिप्लोमेसी से आगे नहीं बढ़ सकी गोहिल की कोशिश
शक्ति सिंह गोहिल की तीन दिनों की कवायद के बाद भी मामला डिनर डिप्लोमेसी से आगे नहीं बढ़ पाया। न सीटों के बंटवारे पर आपस में विमर्श हो सका और न ही अन्य मसलों पर। समन्वय समिति के लिए 15 महीने से मचल रहे जीतन राम मांझी का मामला भी जहां था, वहीं पर अटका हुआ है। आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की सम्मानजनक भागीदारी पर भी कोई निर्णय नहीं हो सका।
तेजस्वी ने बनाई साथी दलों से दूरी, जगदानंद कर रहे बात
लोकसभा चुनाव के परिणाम और घटक दलों की किचकिच से तेजस्वी पहले से ही बिदके हुए हैं। गोहिल की पहल के बाद भी उनकी मुलाकात सिर्फ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से ही हो सकी। बाकी घटक दलों के प्रमुख नेताओं से तेजस्वी की दूरी बनी हुई है। न मांझी, न कुशवाहा और न ही मुकेश सहनी से बात-मुलाकात हो रही है। गठबंधन से संबंधित सारी बातें आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ही कर रहे हैं। पिछले सप्ताह आरएलएसपी के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी की जगदानंद से मुलाकात जरूर हुई थी, किंतु बात किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। संवादहीनता की स्थिति जो पहले थी, अब भी जारी है।
कांग्रेस का अधिक सीटों पर दावा, ऊर्जा दे रहा पिछला नतीजा
लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने कांग्रेस को काफी चिरौरी के बाद नौ सीटें भेंट की थीं। अपने पास 20 सीटें रखी थीं। कांग्रेस ने एक सीट जीतकर गठबंधन में अपनी प्रतिष्ठा बचा ली थी। अन्य घटक दलों का सूपड़ा साफ हो गया था। उसी आधार पर कांग्रेस कुछ ज्यादा सीटों की दावेदारी कर रही है। पिछले चुनाव में आरजेडी-जेडीयू के साथ तालमेल में कांग्रेस को 41 सीटें दी गई थीं, जिनमें 27 सीटें जीतकर उसने अपनी स्ट्राइक रेट को जेडीयू से बेहतर रखा था। आरजेडी के साथ सीटों पर बातचीत से पहले कांग्रेस को पिछला परिणाम संबल दे रहा है।