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राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस की लड़ाई और निशाने पर उत्तर प्रदेश की सियासत

राजस्थान में कांग्रेस सरकार पर गहराए संकट को लेकर बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस में जारी तनातनी के पीछे उत्तर प्रदेश की सियासत भी नजर आ रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 10:14 AM (IST)
राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस की लड़ाई और निशाने पर उत्तर प्रदेश की सियासत
राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी व कांग्रेस की लड़ाई और निशाने पर उत्तर प्रदेश की सियासत

लखनऊ, जेएनएन। राजस्थान में कांग्रेस सरकार पर गहराए संकट को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस में जारी तनातनी के पीछे उत्तर प्रदेश की सियासत भी नजर आ रही है। दोनों के बीच जारी सियासी जंग की अहम वजह वोट बैंक है। खासकर उत्तर प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस अपनी वापसी में बसपा-सपा को मुख्य बाधा मानती है। कांग्रेस नेतृत्व को भरोसा है कि बसपा-सपा कमजोर होंगे तो यूपी में उनके अच्छे दिन आ जाएंगे। इसी उम्मीद में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा खुद ही उत्तर प्रदेश के मैदान में उतरी हैं। वोटों की खातिर दोनों में सांप-नेवले जैसी लड़ाई है। इसमें जो बचा, वो ही यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रभावी होगा।

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बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को कांग्रेस को सबक सिखाने की चेतावनी देते हुए कहा कि हमने अपने विधायकों को गहलौत सरकार के खिलाफ वोट करने के लिए व्हिप जारी किया है। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। बसपा प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने धोखे से बसपा विधायकों को अपनी ओर किया, जबकि राजस्थान में चुनाव के बाद बसपा के छह विधायकों ने कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया था। दुर्भाग्यवश मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने बदनीयत के चलते बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए असंवैधानिक रूप से उन विधायकों का कांग्रेस में विलय किया। गहलौत ने अपने पिछले शासनकाल में भी यही किया था।

सरकार गिरी तो गहलौत खुद जिम्मेदार : बसपा विधायकों द्वारा करीब छह माह पूर्व कांग्रेस में शामिल होने की घटना पर अब कोर्ट जाने के आरोपों पर सफाई देते हुए मायावती ने कहा- 'बसपा पहले भी कोर्ट जा सकती थी लेकिन हम कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलौत को सबक सिखाने के लिए सही समय देख रहे थे। अब हमने कोर्ट जाने का फैसला लिया है, अगर जरूरत पड़ी तो हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। अगर कांग्रेस सरकार गिरी तो उसके जिम्मेदार अशोक गहलौत खुद होंगे। बता दें कि बसपा ने दो दिन पूर्व अपने छह विधायकों को व्हिप जारी किया था जिसमें विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस के खिलाफ वोट करने के निर्देश दिए गए थे।

प्रियंका-मायावती के बीच ट्विटर वार : राजस्थान प्रकरण में मायावती द्वारा कांग्रेस को खुली चेतावनी देने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट करके बसपा प्रमुख का नाम लिए बिना उन्हें भाजपा का अघोषित प्रवक्ता बताते हुए तंज किया। उन्होंने लिखा कि भाजपा के अघोषित प्रवक्ताओं ने भाजपा को मदद की व्हिप जारी की है, लेकिन ये केवल व्हिप नहीं है बल्कि लोकतंंत्र और संविधान की हत्या करने वालों को क्लीन चिट है। बता दें कि प्रियंका इससे पूर्व भी मायावती को भाजपा का सहयोगी बताती रही हैं। इसके जवाब में मायावती भी ट्विटर के जरिए लगातार कांग्रेस व प्रियंका पर हमलावर रही हैं।

वोट बैंक की खातिर सांप-नेवले जैसी लड़ाई : बसपा और कांग्रेस के बीच जारी जंग की अहम वजह वोट बैंक है। खासकर उत्तर प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस अपनी वापसी में बसपा-सपा को मुख्य बाधा मानती है। कांग्रेस नेतृत्व को भरोसा है कि उक्त दोनों दल कमजोर होंगे तो अपने अच्छे दिन आ जाएंगे। इसी उम्मीद में प्रियंका खुद ही उत्तर प्रदेश के मैदान में उतरी हैं। बसपा को साफ्ट टारगेट मान रही कांग्रेस ने अपने दलित नेताओं को मायावती के खिलाफ लगा दिया है। इतना ही नहीं भीम आर्मी जैसे संगठन को उभारने की कोशिश भी की ताकि दलित वोटरों पर बसपा का एकाधिकार समाप्त हो सकें। उधर, बसपाइयों को भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मजबूत होने का डर सता रहा है क्योंकि कांग्रेस को बढ़त मिली तो सीधा नुकसान बसपा का ही होगा। दलितों को 'हाथ' के चंगुल में जाने से बचाए रखने के लिए मायावती के कांग्रेस पर हमले जारी रहते हैं। वोटों की खातिर दोनों में सांप-नेवले जैसी लड़ाई है। इसमें जो बचा, वो ही सूबे के 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रभावी होगा।


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