बगलामुखी हुई मेहरबान, चन्नी को फिर से पंजाब की कमान
लुधियाना में वर्चुअल रैली में जब राहुल गांधी ने चरणजीत चन्नी के नाम का एलान किया उसी दौरान उनके परिवार की ओर से मंदिर के पंडितों के फोन आने शुरू हो गए। चन्नी का परिवार बहुत जल्द मां के दरबार में शीश नवाने आ सकता है।
ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। आखिरकार राजयोग की देवी मां बगलामुखी फिर मेहरबान हुईं। चरणजीत ङ्क्षसह चन्नी पर कांग्रेस हाईकमान ने भारी दबाव और खींचतान के बीच चन्नी को आगामी चुनाव के लिए पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसे माता बगलामुखी पर चरणजीत सिंह की चन्नी की अगाढ़ श्रद्धा का परिणाम कहें या कुछ और लेकिन पिछले दो महीने से लगातार मां के दरबार की परिक्रमा कर रहे चन्नी को आखिराकार मां बगलामुखी ने आशीर्वाद दे ही दिया।
बगलामुखी माता को राजयोग की देवी भी कहा जाता है। पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद मात्र दो महीनों में ही चरणजीत चन्नी ने बगलामुखी में तीन बार हाजिरी लगाकर देर रात तक शत्रु संहारक यज्ञ भी किए, क्योंकि इसलिए चन्नी के इन हवनों को उनकी पंजाब में पुन: मुख्यमंत्री के रूप में राज करने की अंतरइच्छा से जुदा नहीं किया जा सकता। चन्नी ने गत वीरवार को ही रात एक बजे बगलामुखी में हवन करके कहा था कि मां जगतजननी उनकी हर परेशानी को दूर करतीं हैं। इसलिए जब भी मन चाहे वे माता के दरबार चले आते हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से पहले भी चन्नी या फिर उनके निकटतम सहयोगी माता के दरबार में गुपचुप हवन करवाते रहे हैं। चन्नी को कैबिनेट मंत्री से मुख्यमंत्री बनने तक पिछले साल उनके दोस्तों ने कुल 9 हवन करवाए थे। इस तरह पिछले 14 महीनों में उनके लिए कुल 12 हवन करवाए जा चुके हैं।
उनकी मां के प्रति उनकी श्रद्दा रंग लाई। पंजाब में राजनीतिक हवाएं चन्नी के पक्ष में बदलीं और आलाकमान ने सभी को चौंकाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवोजत ङ्क्षसह सिद्दू और चुनाव प्रचार कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ जैसे बड़े नेताओं को पछाड़ते हुए चन्नी को कमान सौंप दी।
लुधियाना में वर्चुअल रैली में जब राहुल गांधी ने चरणजीत चन्नी के नाम का एलान किया उसी दौरान उनके परिवार की ओर से मंदिर के पंडितों के फोन आने शुरू हो गए। जाहिर तौर पर मां के आशीर्वाद से मिले इस राजयोग की उम्र लंबी करने के लिए चन्नी का परिवार बहुत जल्द मां के दरबार में शीश नवाने आ सकता है।
राजयोग की देवी ने कईयों को दिलवाया राज
मां बगलामुखी दस महाविद्याओं में अष्टम महाविद्या मानीं जाती है। इन्हें राजयोग की देवी भी कहा जाता है। इसलिए देश भर के नेतागण राज पाठ की मुराद लिए यहां पहुंचते हैं। पुजारी दिनेश रत्न कहते हैं कि सत्ता -असत्ता सब माता के अधीन हैं। इनको अन्याय, अधर्म, पाप, अनुचित कामना भी पसंद नहीं है। चन्नी अकेले राजनेता नहीं हैं जिन्होंने बगलामुखी की आराधना के बाद राजनीतिक उड़ान भरी हो। इससे पहले 1977 में देश भर में कांग्रेस की करारी हार के बाद बगलामुखी पहुंची इंदिरा गांधी को 1980 में प्रधानमंत्री के रूप में कमान मिली थी। 2014 में होशियारपुर से कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी को हराकर सांसद बने विजय सांपला को मोदी सरकार ने केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा गया था। सांपला दशकों से माता के उपासक हैं। मंत्री बनने पर उन्होंने खुद माना था कि वो ऐसा सोच भी नहीं सकते थे। लखनऊ से दो बार मेयर रह चुके उत्तरप्रदेश के दिनेश शर्मा को पार्टी ने एकाएक ही उपमुख्यमंत्री बना दिया था। शर्मा कई सालों से बगलामुखी के श्रद्धालु हैं। यही नहीं दर्जनों राजनीतिक हस्तियां फर्श से अर्स तक पहुंचने के पीछे माता के प्रति श्रद्धा को दर्शाती रहीं हैं। कई सिने अभिनेता बगलामुखी के आशीर्वाद से नेहाल होते रहे हैं।