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बाबूलाल की एंट्री की आहट से भाजपाई बेचैन, नेता प्रतिपक्ष-प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों की सांसें अटकीं

Babulal Marandi Joins BJP बाबूलाल की भाजपा में घर वापसी की आहट से पार्टी का एक बड़ा खेमा जहां खुश दिखाई दे रहा है वहीं कुछ शीर्ष नेताओं को उनकी एंट्री की चर्चा ही अखरने लगी है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 05:20 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 09:08 AM (IST)
बाबूलाल की एंट्री की आहट से भाजपाई बेचैन, नेता प्रतिपक्ष-प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों की सांसें अटकीं

रांची, राज्य ब्यूरो। Babulal Marandi Joins BJP झारखंड विकास मोर्चा प्रमुख बाबूलाल मरांडी की भाजपा में घर वापसी की आहट से पार्टी का एक बड़ा खेमा जहां खुश दिखाई दे रहा है वहीं कुछ शीर्ष नेताओं को उनकी एंट्री की चर्चा ही अखरने लगी है। वजह स्पष्ट है, ये तमाम नेता बाबूलाल के कद के आगे अपने को बौना महसूस करते हैं और उन्हें पता है कि यदि झाविमो प्रमुख अपनी टीम के साथ भाजपा में आ गए तो उन्हें किसी शीर्ष पद पर ही बैठाया जाएगा और उनकी उम्मीदों को झटका लगेगा। 

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भाजपा में फिलहाल नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रखा गया है, वहीं प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा भी इस्तीफा देने के बाद बस अगली व्यवस्था काबिज होने तक ही बने हुए हैं। ये दोनों वे अहम पद हैं, जिनमें किसी एक पर बाबूलाल को इंट्री के साथ ही बैठाया जा सकता है। ऐसी संभावना जताई जा रही है। भाजपा में नेता प्रतिपक्ष के दो सशक्त दावेदार हैं। सीपी सिंह ने तो विशेष सत्र के दौरान अपनी मजबूत उपस्थिति का एहसास करा अपनी योग्यता भी साबित की है।

वहीं, नीलकंठ सिंह मुंडा फिलहाल विधानसभा चुनाव जीतकर आने वालों में पार्टी का सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। बाबूलाल यदि भाजपा में शामिल होते हैं और उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जवाबदेही दी जाती है तो दोनों पुराने शीर्ष नेताओं की उम्मीदों को बड़ा धक्का लगेगा। बाबूलाल के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष का विकल्प भी रखा जा सकता है। इस पद के लिए भाजपा में आधा दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं।

इनमें पूर्व अध्यक्ष रवींद्र कुमार राय, समीर उरांव, अनंत ओझा, गणेश मिश्र, दीपक प्रकाश व अमर कुमार बाउरी सहित अन्य शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी यदि इस पद का प्रस्ताव मिला तो शायद वह इन्कार न करें। बाबूलाल की घर वापसी और उन्हें सौंपी जाने वाली भावी जिम्मेदारी को लेकर प्रदेश भाजपा को कुछ भी नहीं पता है। हालांकि इतना तय है कि बाबूलाल मरांडी भाजपा में बगैर शर्त शामिल होंगे और पार्टी उन्हें निश्चित तौर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपेगी। ऐसे में कई शीर्ष नेताओं की बेचैनी बढऩा स्वाभाविक है।


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