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बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी सुप्रीम कोर्ट में बाबरी के मलबे की करेगी मांग, जल्द दाखिल होगी याचिका

वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर बनने की कानूनी अड़चने दूर हो चुकी हैं। अब मुस्लिम समुदाय बाबरी मस्जिद के वहां पड़े मलबे की मांग करेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 11:12 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 08:28 AM (IST)
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी सुप्रीम कोर्ट में बाबरी के मलबे की करेगी मांग, जल्द दाखिल होगी याचिका
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी सुप्रीम कोर्ट में बाबरी के मलबे की करेगी मांग, जल्द दाखिल होगी याचिका

लखनऊ, जेएनएन। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी सुप्रीम कोर्ट में बाबरी के मलबे की मांग करेगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र एक याचिका दाखिल की जाएगी। मुस्लिम समुदाय इस मलबे को किसी साफ-सुथरे स्थान पर रखेगा तथा शरीयत के अनुसार निस्तारण करेगा। 

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बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक व वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर बनने की कानूनी अड़चने दूर हो चुकी हैं। वहां जल्द राम मंदिर बनना शुरू हो जाएगा। इसके लिए वहां सफाई भी होगी। ऐसे में मुस्लिम समुदाय बाबरी मस्जिद के वहां पड़े मलबे की मांग करेगा।

जफरयाब जिलानी ने बताया कि शरीयत के अनुसार मस्जिद के मलबे को किसी गंदे स्थान पर नहीं फेंका जा सकता है। इसलिए इस मलबे को पाने के लिए याचिका दाखिल की जाएगी। इसमें यह मांग की जाएगी कि राम मंदिर निर्माण से पहले जो भी बाबरी मस्जिद का मलबा है, उसे उन्हें दे दिया जाए।

जिलानी ने बताया कि अयोध्या मामले में फैसला आने के बाद दिसंबर 2019 में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने बैठक कर बाबरी मस्जिद के मलबे पर अपना हक जताया था। उन्होंने कहा कि मस्जिद की एक-एक ईंट व टुकड़े हमारे लिए पवित्र है। अयोध्या में ही दो-तीन मुस्लिम समुदाय के लोग पवित्र मलबा अपने यहां रखने को राजी हैं। मलबा कहां रखा जाएगा यह बाद में तय किया जाएगा।

दूसरी जगह जमीन लेना शरीयत के खिलाफ

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा राम मंदिर के लिए ट्रस्ट की घोषणा और अयोध्या में मस्जिद के लिए अलग जमीन देने की घोषणा के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव एवं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा है कि किसी भी मस्जिद की जमीन के बदले न तो जमीन दी जा सकती है न ही ली जा सकती है। यह शरीयत के खिलाफ है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले से ही जमीन न लेने का निर्णय कर चुका है। हालांकि जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई है इसलिए उन्हें तय करना है कि जमीन लेनी है या नहीं। 

जिलानी ने कहा है कि यह फैसला केंद्र सरकार के अयोध्या एक्ट 1993 के साथ ही वर्ष 1994 में दिए गए कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। नौ नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहीत की गई जमीन में से विवादित भूमि छोड़कर या फिर अयोध्या में किसी प्रसिद्ध स्थान पर जमीन देने के निर्देश दिए थे। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का पालन नहीं किया। अब सरकार ने फैजाबाद जिले का ही नाम अयोध्या कर दिया है साथ ही जो जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी है वह मुख्य अयोध्या से काफी दूर है।


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