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Ayodhya Ram Mandir: भूमि पूजन में महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को आमंत्रित न करने पर मायावती को शिकायत

Ayodhya Ram Mandir सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव बसपा मुखिया अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मामले में भी कूद पड़ी हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 12:28 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 03:50 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir: भूमि पूजन में महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को आमंत्रित न करने पर मायावती को शिकायत
Ayodhya Ram Mandir: भूमि पूजन में महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को आमंत्रित न करने पर मायावती को शिकायत

लखनऊ, जेएनएन। रामनगरी अयोध्या में पांच अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में भी कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। ऐसे में इस कार्यक्रम में सिर्फ दो सौ लोगों को ही आमंत्रित किया जा रहा है। इसमें प्रयागराज के महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को आमंत्रित न करने से बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती नाराज हैं। मायावती की मांग है कि दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को भूमि पूजन में आमंत्रित करें।

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लोकसभा चुनाव 2019 से सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव बसपा मुखिया अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मामले में भी कूद पड़ी हैं। पांच अगस्त को इस मंदिर के होने वाले भूमि पूजन में प्रयागराज के दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को आमंत्रित न करने से मायावती नाराज हैं। उन्होंने इस बाबत दो ट्वीट किया है। मायावती ने लिखा है कि दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि की शिकायत के मद्देनजर यदि अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले भूमिपूजन समारोह में अन्य 200 साधु-संतों के साथ इनको भी बुला लिया गया होता तो यह बेहतर होता। इससे देश में जातिविहीन समाज बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ सकता था।

मायावती ने दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को सलाह भी दी है। उन्होंने लिखा है कि वैसे तो जातिवादी उपेक्षा, तिरस्कार व अन्याय से पीडि़त दलित समाज को इन चक्करों में पडऩे के बजाए अपने उद्धार के लिए श्रम/कर्म में ही ज्यादा ध्यान देना चाहिए तथा इस मामले में भी अपने मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए।

गौरतलब है कि महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि ने भूमि पूजन पर सवाल उठाने के साथ दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन समारोह में जिन 200 खास मेहमानों को बुलाए जाने की संभावना है, उनमें दलित महामंडलेश्वर का नाम नहीं है। स्वामी कन्हैया गिरि को अभी तक कोई न्यौता भी नहीं मिला है। वह इससे न सिर्फ नाराज हैं, बल्कि उन्होंने आयोजन को लेकर गंभीर सवाल भी उठाए हैं। गिरि ने भूमि पूजन में खुद को नहीं बुलाए जाने पर नाराजागी जताते हुए इसे दलितों की उपेक्षा करार दिया है। स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि ने कहा है कि पहले मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में किसी दलित को जगह नहीं दी गई और उसके बाद अब भूमि पूजन समारोह में भी इस समुदाय की उपेक्षा की जा रही है। स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि की नाराजगीका महत्व इसलिए भी ज्यादा हो जाता है, क्योंकि वो सभी 13 अखाड़ों के इकलौते दलित महामंडलेश्वर हैं।

कन्हैया गिरि की इस नाराजगी पर साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि सन्यासी जीवन में आने के बाद संत की कोई जाति नहीं रह जाती, इसलिए कन्हैया गिरि का खुद को दलित बताया जाना गलत है। सन्यासी की कोई जाति नहीं होती और जाति बताने वाला कभी सन्यासी नहीं हो सकता है। अखाड़ों में आम तौर पर सामान्य वर्ग के संत ही महामंडलेश्वर बनाए जाते हैं। आजमगढ़ के रहने वाले धर्म और ज्योतिष के विद्वान कन्हैया प्रभु नंदन गिरि को बीते वर्ष प्रयागराज में हुए कुंभ मेले में महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले वह पहले ऐसे दलित संत थे, जिन्हे किसी अखाड़े ने महामंडलेश्वर की पदवी दी हो। ऐसे में कन्हैया प्रभु नंदन गिरि को उम्मीद थी कि सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए केंद्र सरकार उन्हेंं राम मंदिर ट्रस्ट में जरूर जगह देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।  


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