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Demolition Case Ayodhya: विवादित ढांचा ध्वंस पर कोर्ट 28 वर्ष बाद कल सुनाएगा फैसला, आडवाणी और जोशी भी हैं आरोपी

Ayodhya Controversial Structure Demolition Case अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले में अदालती फैसले का इंतजार 28 साल बाद बुधवार को खत्म होगा। सीबीआइ माह की शुरूआत से ही लगातार इस मामले में फैसला लिखा रही है और 30 सितंबर को इसे सुनाया जाएगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 05:05 PM (IST)
Demolition Case Ayodhya: विवादित ढांचा ध्वंस पर कोर्ट 28 वर्ष बाद कल सुनाएगा फैसला, आडवाणी और जोशी भी हैं आरोपी
अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 की घटना के बाद कई आरोपित केस का फैसला सुनने के लिए जीवित नहीं हैं

लखनऊ, जेएनएन। Ayodhya Controversial Structure Demolition Case: रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का काम शुरू हो गया है। इसी बीच लोगों को करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक रामजन्मभूमि से जुड़े एक और जिस फैसले का इंतजार है, वह कल यानी बुधवार को आएगा। इस फैसले से लोगों के 28 वर्ष का लम्बा इंतजार भी खत्म होगा।

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अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले में अदालती फैसले का इंतजार 28 साल बाद बुधवार को खत्म होगा। सीबीआइ इस माह की शुरूआत से ही लगातार इस मामले में फैसला लिखा रही है और 30 सितंबर को इसे सुनाया जाएगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय आरोपितों को भी उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास अस्वस्थता के चलते बाबरी ध्वंस पर फैसले के दौरान स्पेशल कोर्ट में उपस्थित नहीं रहेंगे। इसमें केस संख्या 198 में भाजपा मार्गदर्शक मंडल में शामिल लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती एवं अन्य आरोपी हैं। इन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। इस केस की लगातार सुनवाई के दौरान 351 गवाह और 600 दस्तावेज पेश किए गए। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जज ने लगातार सुनवाई के बाद एक सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था और दो सितंबर से फैसला लिखना शुरू किया था।

अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को घटी इस घटना के बाद कई आरोपित केस का फैसला सुनने के लिए जीवित नहीं हैं। इसके आरोपपत्र में शामिल 49 आरोपितों में से 17 की मौत हो चुकी है। केस में आरोपितों और सीबीआइ ने कई बार हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अंतत: सुप्रीम कोर्ट नेे 19 अप्रैल 2017 को विचारण अदालत के लिए मुकदमा पूरा करने के लिए समय सीमा तय की और अब फैसला होने की नौबत आई है।

गौरतलब है कि इस हाई प्रोफाइल केस में सीबीआइ ने 351 अभियोजन गवाहों को पेश किया। तकरीबन 600 दस्तावेजी साक्ष्य भी पेश किए गए हैं। गत एक सितंबर को इस मामले में बचाव व अभियोजन पक्ष की मौखिक बहस पूरी हुई थी। दो सितंबर से अदालत ने अपना निर्णय लिखवाना शुरू कर दिया था।

कुल 49 एफआईआर हुई थीं

छह दिंसबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाने के मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज हुई थी। एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में तत्कालीन एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। शेष 47 एफआईआर अलग अलग तारीखों पर अलग अलग पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने दर्ज कराई।

यह हैं 32 आरोपित

लालकुष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डा. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर।

इन 17 आरोपितों की हो चुकी मौत

अशोक सिंघल , बालासाहेब ठाकरे, विजय राजे सिंधिया, महंत अवेद्यनाथ, परंमहंस दास चंद्रदास, गिरिराज किशोर, विष्णुहरि डालमिया,मोरेश्वर सावे, विनोद कुमार वत्स, राम नारायण दास, डीबी दास, लक्ष्मीनारायण दास, रमेश प्रताप सिंह, हरगोविंद सिंह, बैकुंठलाल शर्मा, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज एवं डॉ. सतीश नागर।

ढांचा विध्वंस केस होगा जज एस के यादव का अंतिम फैसला

ढांचा विध्वंस केस सीबीआइ के विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव का आखिरी फैसला होगा। बतौर अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष जज अयोध्या उन्होंने 25 अगस्त 2015 को इस मामले की सुनवाई प्रारम्भ की थी। इस बीच वह 25 नवंबर 2018 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर प्रोन्नत हो गए। फिर भी सुप्रीम कोर्ट के 19 अप्रैल 2017 के आदेश से वह इस केस की सुनवाई करते रहे। एसके यादव 30 सितंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो गए लेकिन किन्तु सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य आदेश से वह केस सुनते रहे।

मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव आठ जून 1990 को बतौर मुंसिफ न्यायिक सेवा में आये। 15 दिसम्बर 2008 को वह उच्च न्यायिक सेवा में षामिल हुए। न्यायिक सेवा के दौरान वह फैजाबाद, हरदोई सुल्तानपुर , इटावा, भदोही, उन्नाव, गोरखपुर एवं लखनऊ में पोस्टेड रहे।


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