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Rajasthan: अशोक गहलोत सरकार को अब छह माह तक कोई खतरा नहीं

Ashok Gehlot गहलोत सरकार पर अब अगले छह महीने संकट नहीं हैकिसी भी सरकार के विश्वास मत जीतने के बाद छह माह तक उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 06:50 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 06:50 PM (IST)
Rajasthan: अशोक गहलोत सरकार को अब छह माह तक कोई खतरा नहीं
Rajasthan: अशोक गहलोत सरकार को अब छह माह तक कोई खतरा नहीं

जागरण संवाददाता, जयपुर। Ashok Gehlot: राजस्थान में 34 दिन तक चले सियासी संग्राम के बाद अशोक गहलोत सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया। विश्वास मत ध्वनि मत से पारित किया गया। करीब तीन घंटे तक चली बहस के बाद अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने मतदान कराते हुए कहा कि जो विश्वास मत के पक्ष में हो वो हां कहें और जो विपक्ष में हो वो ना कहें। पक्ष में कांग्रेस के 106, निर्दलीय 13, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो, आरएलडी के एक व माकपा के दो विधायकों ने हाथ खड़े किए। वहीं, भाजपा के 72 व एनडीए के सहयोग राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल के तीन विधायकों ने विपक्ष में हाथ खड़े किए। विश्वास मत प्रस्ताव पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही 21 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई। गहलोत सरकार पर अब अगले छह महीने कोई संकट नहीं है, क्योंकि किसी भी सरकार के विश्वास मत जीतने के बाद छह माह तक उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।

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पहले भाजपा ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही थी, लेकिन शुक्रवार सुबह जब सरकार की तरफ से अध्यक्ष के पास विश्वास प्रस्ताव लाने का प्रस्ताव दिया तो फिर उसी को माना गया। प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब देते हुए सीएम गहलोत ने भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। भाजपा विधायकों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आपके हाईकमान ने हमारी सरकार गिराने की साजिश रची थी, लेकिन राजस्थान में सियासी घटनाक्रम का जिस तरह अंत हुआ, उससे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को धक्का लगा। अमित शाह सपने में कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, उन्होंने राजस्थान सरकार गिराने का तय कर रखा है और मैंने तय किया है कि सरकार को किसी भी कीमत पर नहीं गिरने दूंगा। उन्होंने आरोप लगाया कि एक केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के दो नेता सरकार गिराने की साजिश में शामिल थे। सचिन पायलट के साथ विवाद और 34 दिन तक चले घटनाक्रम पर गहलोत ने कहा कि यह हमारी पार्टी का अंदरूनी मामला है, भाजपा को इस पर बोलने का कोई हक नहीं है।

वसुंधरा से रिश्तों पर सफाई दी

गहलोत ने खुद के और वसुंधरा राजे के बीच रिश्तों की सफाई देते हुए कहा कि ऐसा कहा जाता है कि मैं और वसुंधरा राजे मिले हुए हैं, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना पर शानदार काम किया है, जिसकी पीएम नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की है। विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ हुए विवाद की चर्चा करते हुए गहलोत ने कहा कि गवर्नर्स पर गृहमंत्री अमित शाह का दबाव रहता है। हमारे राज्यपाल भले आदमी हैं, सब लोग उनकी प्रशंसा करते हैं लेकिन दबाव के कारण उन्होंने सत्र बुलाने की अनुमति देने में देरी की। हमेशा मंत्रिमंडल द्वारा भेजी फाइल को राज्यपाल मंजूरी दे देते हैंं, लेकिन इस बार जब फाइल नहीं आई तो गुस्सा आना स्वभाविक था। उन्होंने केंद्र सरकार पर ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। गहलोत बोले आज भाजपा के लोग बगुला भगत बन रहे हैं। सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली है। गहलोत ने कहा कि एक बार स्व.भैरोंसिंह शेखावत सरकार गिराने का प्रयास किया गया तो मैंने तत्कालीन राज्यपाल बलिराम भगत व कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के समक्ष आपत्ति जताई और ऐसा नहीं करने दिया। इससे पहले प्रस्ताव पेश करते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि ‘राजस्थान में न तो किसी शाह की चली, न तानाशाह की।

भाजपा ने सरकार को घेरा

प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया, उप नेता राजेंद्र राठौड़ व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कांग्रेस के आंतरिक सियासी घटनाक्रम, टेलीफोन टेपिंग मामले और एसओजी के दुरुपयोग को लेकर सरकार को घेरा। हॉर्स ट्रेडिंग की बात करते हो, आप तो बसपा के पूरे के पूरे हाथी गटक गए। बसपा के छह विधायकों का गलत तरह से विलय कर लिया। 


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