लखनऊ में फोटो सहित पोस्टर लगाने के मामले की हाई कोर्ट ने 10 अप्रैल तक स्थगित की सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई तोड़फोड़ के आरोपियों का सार्वजनिक स्थानों पर फोटो सहित पोस्टर लगाने के मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है।
प्रयागराज, जेएनएन। लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई तोड़फोड़ के आरोपियों का सार्वजनिक स्थानों पर फोटो सहित पोस्टर लगाने के मामले की सुनवाई स्थगित हो गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को राहत देते हुए सुनवाई 10 अप्रैल तक स्थगित की है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय देने की अर्जी पर दिया है। राज्य सरकार ने आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की सुनवाई को आधार पर सुनवाई टालने की मांग की है। वहीं, दूसरी तरफ सरकार ने अध्यादेश जारी कर अपनी कार्रवाई को वैधता प्रदान किया है, इसलिए कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 19 दिसंबर, 2019 में लखनऊ में हिंसक प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस व प्रशासन ने नुकसान पहुंचाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की, फिर जांच के बाद दोषी पाए गए लोगों की पहचान करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर उनकी फोटो सहित पोस्टर व होर्डिंग लगवा दिया। लखनऊ प्रशासन की ओर से सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग व पोस्टर में प्रदर्शनकारियों के चित्र लगाने को निजता के अधिकार का हनन मानते हुए हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका कायम की।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जनहित याचिका में सरकार से पूछा था कि किस कानून के तहत आंदोलन के दौरान हिंसा, तोड़फोड़ करने वालों की फोटो लगाई गई है? क्या सरकार बिना कानूनी उपबंध के निजता के अधिकार का हनन कर सकती है? इसकी सुनवाई के लिए आठ मार्च रविवार को अवकाश होने के बावजूद कोर्ट बैठी। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने इस प्रकरण पर सुनवाई की।
प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने पक्ष रखते हुए पोस्टर व होर्डिंग लगाने को सही बताया था, लेकिन उनके तर्क से कोर्ट सहमत नहीं हुई और 16 मार्च को अनुपालन रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। हलफनामा दाखिल होने पर याचिका निस्तारित कर दी जाती, लेकिन सोमवार को राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने रजिस्ट्रार जनरल के यहां दाखिल रिपोर्ट में कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की वृहद पीठ के समक्ष सुनवाई होनी है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा इसी मामले को लेकर अध्यादेश जारी किया गया है। इसी आधार पर पोस्टर हटाने के आदेश का अनुपालन करने के लिए और समय की मांग की गई थी।