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जानें, बिहार में महागठबंधन व NDA के लिए क्‍यों खास है लोकसभा चुनाव का चौथा चरण

Bihar Lok Sabha Election Phase IV Voting बिहार में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में पांच सीटों पर सोमवार को वोट पड़े। यह चरण राजग व महागठबंधन दोनों के लिए महत्‍वपूर्ण है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 07:56 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 09:56 PM (IST)
जानें, बिहार में महागठबंधन व NDA के लिए क्‍यों खास है लोकसभा चुनाव का चौथा चरण
जानें, बिहार में महागठबंधन व NDA के लिए क्‍यों खास है लोकसभा चुनाव का चौथा चरण
पटना [अमित आलोक]। बिहार में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण का मतदान साेमवार को हुआ। इस चरण में पांच सीटों (बेगूसराय, मुंगेर, उजियारपुर, समस्‍तीपुर व दरभंगा) पर सत्‍ताधारी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ-साथ विपक्षी महागठबंधन के कई दिग्‍गजों की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है। लोकसभा चुनाव का यह चरण दोनों गठबंधनों के लिए खास है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फायरब्रांड नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तथा जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्‍यक्ष व भारतीय कम्‍युनिष्‍ट पार्टी (भाकपा) नेता कन्हैया कुमार आमने-समाने हैं। बिहार भाजपा अध्‍यक्ष नित्यानंद राय, राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के ललन सिंह तथा राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) के अब्दुल बारी सिद्दीकी भी इसी चरण में ताल ठोक रहे हैं। बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्‍नी नीलम देवी भी मैदान में हैं।

बेगूसराय: कन्‍हैया व गिरिराज पर टिकी पूरे देश की नजर
चौथे चरण में सबसे हॉट सीट है बेगूसराय। यहां भाकपा प्रत्‍याशी कन्‍हैया कुमार के मुकाबले भाजपा के गिरिराज सिंह हैं। महागठबंधन के राजद प्रत्‍याशी तनवीर हसन भी हैं। मुकाबला इन्‍हीं तीनों के बीच बताया जा रहा है।
तनवीर हसन गत लोकसभा चुनाव में भी यहां से मैदान में थे। तब वे भाजपा के भोला सिंह से 58,000 वोटों से पराजित हो गए थे।
तनवीर के अलावा अन्‍य दो प्रमुख उम्‍मीदवारों में शामिल तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा विरोध का झंडा थामे कन्हैया कुमार बेगूसराय के मूल निवासी हैं। वे यहां से अपनी सियासी शुरूआत कर रहे हैं। उनके मुकाबले में खड़े भाजपा के दिग्‍गज गिरिराज सिंह भी बेगूसराय से पहली बार मैदान में हैं। दोनों भूमिहार समुदाय से हैं, जिसकी यहां अच्‍छी तादाद है। इस लड़ाई में भूमिहार वोटों के बंटने की आशंका देानों को है। हालांकि, कन्‍हैया को भाजपा विरोधी वोटों पर भरोसा है। गिरिराज के खिलाफ उन्‍होंने स्‍थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी उठाया है। उधर, तनवीर हसन को राजद के परंपरागत एम-वाइ (मुस्लिम-यादव) समीकरण के वोट मिलने की उम्‍मीद है। यहां यादव और मुसलमान वोटर निर्णायक हैसियत में हैं।


मुंगेर: जदयू के ललन के मुकाबले बाहुबली अनंत की पत्‍नी

मुंगेर लोकसभा सीट इस बार बाहुबलियों के कारण शुरू से चर्चा में रही है। यहां की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सांसद व बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्‍नी वीणा देवी को राजग में सीट शेयरिंग के गणित में इस सीट से हाथ धोना पड़ा। हालांकि, वे अंत तक इसपर दावा करतीं रहीं।
मुंगेर में राजग के जदयू प्रत्‍याशी राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह बिहार सरकार में मंत्री व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हैं।  गत लोकसभा चुनाव में लाेजपा की वीणा देवी ने ही ललन सिंह को एक लाख से अधिक वोटों से हराया था। उस चुनाव में जदयू राजग से अलग था। इस बार ललन सिंह का मुकाबला मोकामा के बाहुबली निर्दलीय विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी से है। नीलम देवी महागठबंधन से कांग्रस के टिकट पर मैदान में हैं।
ललन सिंह को जदयू के आधार वोट के साथ भाजपा व लोजपा के वोट की भी उम्‍मीद है। लेकिन वीणा देवी को टिकट नहीं मिलने से असंतुष्‍ट लोजपा समर्थकों का एक वर्ग भितरघात भी कर सकता है। उधर, बाहुबली अनंत सिंह को यहां के मुस्लिम व यादव वोट मिल सकते हैं। हालांकि, मुंगेर में अनंत सिंह को टिकट दिए जाने का मुखर विरोध करते रहे राजद से भितरघात की भी आशंका है।


उजियारपुर: यहां दांव पर कुशवाहा व नित्‍यानंद की प्रतिष्‍ठा
उजियारपुर सीट पर भी दो दिग्गज ताल ठोक रहे हैं। राजग की तरफ से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय हैं तो महागठबंधन से रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा मैदान में हैं। कुशवाहा काराकाट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। उजियारपुर से मार्क्‍सवादी कम्‍युनिष्‍ट पार्टी (माकपा) के अजय राय भी मैदान में हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में नित्‍यानंद राय ने राजद के आलोक कुमार मेहता को 60 हजार वोटों से हराया था। यहां जदयू की अश्वमेघ देवी तीसरे स्‍थान पर रहीं थीं। इस चुनाव में भाजपा व जदयू के साथ रहने के कारण नित्यानंद राय को जदयू के वोट ट्रांसफर हो सकते हैं। यहां कुशवाहा व यादव समुदायों की निर्णायक ताकत को देखते मुकाबला कठिन दिख रहा है। ये वोट महागठबंधन के प्रत्‍याशी उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में जा सकते हैं।


समस्तीपुर: रामविलास पासवान के भाई ठोक रहे ताल
समस्‍तीपुर लोकसभा क्षेत्र से लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान मैदान में हैं। वे यहां के सिटिंग सांसद भी हैं। उनका मुकाबला महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्‍याशी रामचंद्र पासवान से है।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर बीते चुनाव में भी इन्‍हीं दोनों के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें रामचंद्र पासवान केवल 6872 वोटों से जीते थे। इसके पहले 2009 के चुनाव में यहां जदयू के महेश्वर हजारी ने रामचंद्र पासवान को शिकस्‍त दी थी।

दरभंगा: राजद के सिद्दीकी के मुकाबले भाजपा के गोपालजी
दरभंगा के वर्तमान सांसद कीर्ति आजाद इस बार यहां से मैदान में नहीं हैं। गत चुनाव में भाजपा के टिकट पर सांसद बने कीर्ति आजाद ने इस चुनाव के पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया, लेकिन महागठबंधन में सीट शेयरिंग में कांग्रेस को दरभंगा सीट नहीं मिली। इस कारण वे यहां से चुनाव नहीं लड़ सके। कीर्ति आजाद झारखंड के धनबाद से मैदान में हैं। यहां महागठबंधन की ओर से राजद के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के गोपालजी ठाकुर से है।
दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम समुदाय के वोट निर्णायक हैसियत रखते हैं। राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को लालू के एम-वाइ (मुस्लिम-यादव) समीकरण का लाभ मिलता दिख रहा है। उनके मुकाबले में खड़े भाजपा प्रत्याशी गोपालजी ठाकुर के साथ राजग के घटक दलों के परंपरागत वोट बैंक का लाभ तो मिलेगा ही, ब्राह्मण समुदाय के साथ कथित अन्‍य सवर्ण वोट भी मिल सकते हैं।


बिहार की 40 में से 19 सीटों का फैसला ईवीएम में कैद
बहरहाल, चौथे चरण के लिए सोमवार को वोट पड़े। इसके साथ बिहार की 40 में से 19 सीटों के भाग्‍य का फैसला प्रत्‍याशियों को ईवीएम में कैद कर दिया है। चौथे चरण में कुल 58.92 फीसद वोट पड़े। यह मतदान फीसद गत लोकसभा चुनाव से 1.56 फीसद अधिक रही। गत लोकसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में 57.36 फीसद वोट पड़े थे। खास बात यह कि अच्‍छी वोटिंग ही सियासी समीकरणों को साधने में मददगार होते रहे हैं।

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