जाति मामले में अजीत जोगी को फौरी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
हाईकोर्ट ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति की रिपोर्ट को निरस्त कर शासन को नियमानुसार समिति का गठन का जोगी की जाति की जांच करने का आदेश पहले दिया था।
नईदुनिया, बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए संतकुमार नेताम की याचिका खारिज कर दी है। इससे जोगी को फौरी राहत मिल गई है।
हाई कोर्ट ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति की रिपोर्ट को निरस्त कर शासन को नियमानुसार समिति का गठन का जोगी की जाति की जांच करने का आदेश पहले दिया था। जून 2017 में उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के आदिवासी नहीं होने की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद बिलासपुर कलेक्टर ने उनके सभी जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था।
इस पर जोगी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि शासन ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति में प्रदेश के वरिष्ठ आइएएस को अध्यक्ष बनाया है। एक सदस्यीय इस समिति में अध्यक्ष ने ही सचिव व सदस्यों का कार्य पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत की है। नियमानुसार एक सदस्यीय समिति जांच नहीं कर सकती है।
इसके अलावा विजिलेंस जांच में भी गवाहों के बयान को दर्ज नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति के आदेश को निरस्त कर दिया था। साथ ही शासन को नियमानुसार समिति का गठन कर जोगी की जाति की नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसमें नई समिति बनाकर जांच कराने के आदेश को निरस्त करने और पुरानी समिति की रिपोर्ट को ही मान्य करने की मांग की गई थी।