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कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा, यूपी में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण नहीं

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने दावा किया कि रोकथाम की कोशिशों के चलते उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में 46.9 प्रतिशत कमी आई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 10:55 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 10:55 AM (IST)
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा, यूपी में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण नहीं
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा, यूपी में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण नहीं

लखनऊ, जेएनएन। दिल्ली में फैले वायु प्रदूषण से किनारा करते हुए उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने दावा किया कि प्रदेश में पराली जलाने से इसका कोई सरोकार नहीं है। रोकथाम की कोशिशों के चलते उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में 46.9 प्रतिशत कमी आई है।

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कृषि मंत्री का कहना है कि आइसीएआर से प्राप्त रिमोट सेंसिंग की एक नवंबर की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में 46.9 प्रतिशत कमी आई है। जहां तक दिल्ली में हो रहे प्रदूषण का प्रश्न है, यह उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कारण नहीं हो रहा, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पराली जलाने की घटनाएं नगण्य हैं।

पराली जलाने को रोकने के लिए सख्ती 

शाही ने बताया कि पराली जलाने को रोकने के लिए सख्ती करने का परिणाम है कि अब तक कुल 586 किसानों को नोटिस जारी किए गए हैं। 166 किसानों के खिलाफ एफआइआर करने के साथ 185 किसानों पर 4,75,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा अब तक 50 किसानों से 1,30,500 रुपये की वसूली की जा चुकी है। लापरवाही बरतने के आरोप में एक लेखपाल को निलंबित किया और एक लेखपाल पर विभागीय कार्रवाई की गई है। वहीं, सात लेखपालों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।

40 लाख किसानों को दिया प्रशिक्षण

कृषि मंत्री ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मुख्य सचिव स्तर पर मानीटरिंग सेल का गठन किया गया है। प्रत्येक जिले से प्रतिदिन रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है। जिलों में भी एक सेल का गठन किया गया है। तहसीलों में उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मोबाइल स्क्वाइड भी गठित है। जो धान की कटाई से लेकर गेहूं बोआई होने तक लगातार क्षेत्र में भ्रमण करता है। प्रदेश में 40 लाख से अधिक किसानों को प्रशिक्षित भी किया गया। फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान की गई। पराली जलाने से पर्यावरण और भूमि के पोषक तत्वों पर दुष्प्रभाव के बारे में बताया जा रहा है। 


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