After Ayodhya Verdict : पारासरन ने रामलला को अर्पित की सुप्रीम फैसले की प्रति, किया रामलला का दर्शन
After Ayodhya Verdict सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि प्रकरण की करीब 40 वर्ष से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता केशव पारासरन 93 वर्ष के हैं।
अयोध्या, जेएनएन। न्याय की अवधारणा के अनुरूप फैसले की प्रति संबंधित पक्षकारों को सौंपी जानी चाहिए और इस प्रति पर उस पक्ष का विशेष अधिकार बनता है, जिसके हक में फैसला आया हो। इसी क्रम में शनिवार को रामलला की पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं का दल शनिवार को दिल्ली से रामलला के दरबार तक आ पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में रामलला की पैरवी से लेकर अयोध्या आने वाले अधिवक्ताओं के दल की अगुआई कर रहे दिग्गज अधिवक्ता केशव पारासरनने फैसले की प्रति रामलला को अर्पित की।
अधिग्रहित परिसर में ही स्थित रामचरित मानस भवन के अतिथि गृह में रामलला की ओर से रामलला के पदेन रिसीवर मंडलायुक्त मनोज मिश्र ने यह प्रति स्वीकार की। 929 पेज का फैसला और रामजन्मभूमि की प्रामाणिकता प्रशस्त करते साक्ष्यों से युक्त 116 पेज का विशेष परिशिष्ट अधिवक्ताओं की उस मेहनत का परिणाम है, जिसे उन्होंने स्थानीय सिविल कोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक जाकर किया। सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन 170 घंटों तक चली नियमित सुनवाई के साथ उनकी मेहनत रोशन होती रही, जब नौ नवंबर को फैसला आया। तब उन्होंने रामलला और रामनगरी के साथ करोड़ों-करोड़ रामभक्तों को मुस्कुराने का मौका दिया।
अयोध्या आने वाले अधिवक्ताओं के दल में केशव पारासरनसहित उनके अधिवक्ता पुत्र मोहन एवं सतीश पाराशरन, वैद्यनाथन, उनके पुत्र हरीश वैद्यनाथन, पीवी योगश्वरन, स्वरूपमा चतुर्वेदी, विक्रम बनर्जी, श्रीधरन, डी. भरतकुमार, भक्तिवर्धन आदि रहे। अधिवक्ताओं ने रामलला का पूरी श्रद्धा से दर्शन भी किया। इससे पूर्व उन्होंने पुण्यसलिला सरयू में उुबकी लगाई और तीसरे पहर विहिप, संतों तथा रामनगरी की ओर से सम्मान स्वीकार किया। विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेशचंद ने अधिवक्ताओं को सम्मान स्वरूप उत्तरीय, मिष्ठान के साथ रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित रामलला मंदिर के मॉडल का छाया चित्र प्रदान किया। सम्मान समारोह के सूत्रधार के तौर पर चंपत राय ने निहाल होकर अधिवक्ताओं का मंच से परिचय कराया।
इस मौके पर रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, आचार्य पीठ दशरथमहल के महंत बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य, रामलला के सखा त्रिलोकीनाथ पांडेय, मंदिर आंदोलन के नायकों में शुमार रहे पूर्व सांसद विनय कटियार, मौजूदा इलाकाई सांसद लल्लू सिंह, विधायक वेदप्रकाश गुप्त, रामचंद्र यादव एवं गोरखनाथ बाबा आदि सहित पूरी नगरी की नुमाइंदगी रही।