संसद की समिति करेगी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने वाले बिल पर मंथन, सरकार ने की सिफारिश
लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के प्रविधान वाला विधेयक मंगलवार को भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुआ। इस बीच सरकार ने बिल को संसदीय समिति को भेजने की सिफारिश की। सभी धर्मो के लिए यह प्रस्ताव है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के प्रविधान वाला विधेयक मंगलवार को भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुआ। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। विधेयक को महिलाओं को बराबरी देने वाला बताते हुए इरानी ने कहा कि हम पहले ही इसमें 75 साल की देरी कर चुके हैं। हालांकि विधेयक पर विस्तृत चर्चा के लिए उन्होंने स्वयं सभापति से इसे संसद की स्थायी समिति को भेजने का अनुरोध किया।
विपक्ष ने विधेयक को जल्दबाजी में लाया बताकर भारी विरोध किया और विधयेक पर सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा की जरूरत बताई। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज (मंगलवार को) अचानक सप्लीमेंट्री लिस्ट आफ बिजनेस में देखने को मिला कि बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 लाया गया है। वह सरकार को सलाह देना चाहते हैं कि हड़बड़ी में कोई भी चीज करने से गड़बड़ी होती है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत राय ने विधेयक पर सभी पक्षों के साथ विस्तृत चर्चा की जरूरत बताई। मुस्लिम लीग के सदस्य ईटी मोहम्मद बशीर ने विधेयक को गैरजरूरी, असंवैधानिक और पर्सनल ला के खिलाफ बताया। उन्होंने सरकार विधेयक लेने की मांग की।
पीछे ले जाने वाला विधेयक : ओवैसी
एआइएमआइएम के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक पीछे की ओर ले जाने वाला है और अनुच्छेद 19 के तहत मिले स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री का चुनाव किया जा सकता है। लिव-इन रिलेशनशिप में रहा जा सकता है, पाक्सो एक्ट में सैक्सुअल रिलेशन हो सकता है लेकिन सरकार उनके शादी के अधिकार से इन्कार कर रही है।
बिल का विरोध कर रहे सदस्यों को इरानी ने दिया जवाब
इरानी ने जल्दबाजी में विधेयक विधेयक लाने का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक महिलाओं को समानता देता है। हम लोकतंत्र में हैं और विवाह में प्रवेश करने के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करने में 75 साल लेट हैं। उन्होंने कहा कि यह कहना कि महिला शिक्षित नहीं है तो वह अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं रख पाएगी, उनका उपयोग नहीं कर पाएगी, देश की ग्रामीण अंचल की बहनों का इससे बड़ा अपमान इस सदन में नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि 2015 से 2020 तक देश में 20 लाख बाल विवाह रोके गए।
18 साल कम उम्र में 23 प्रतिशत लड़कियों की शादी
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 का डाटा बतलाता है कि 15 से 18 साल की उम्र की 60 प्रतिशत बेटियां गर्भवती पायी गईं हैं। 18 साल से कम उम्र में 23 प्रतिशत लड़कियों का ब्याह रचा दिया गया, जबकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता और आज जो लोग यहां, विशेषकर पुरुष विरोध कर रहे हैं वे महिलाओं को संविधान के तहत समानता के अधिकार से वंचित कर रहे हैं। स्मृति इरानी ने कहा कि जो लोग गतिरोध कर रहे हैं अगर वे मेरी पूरी बात सुन लेते तो मैं स्वयं सरकार की ओर से प्रस्ताव करना चाहती हूं कि स्थायी समिति में इस विषय पर विस्तृत चर्चा हो।