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Winter Session 2021: किसानों का मुद्दा नहीं छोड़ेगा विपक्ष, बिना चर्चा विधेयक पारित करने पर उठाए सवाल

संसद के पहले दिन ही दोनों सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का कृषि कानूनों का निरस्तीकरण विधेयक 2021 पारित कर सरकार ने भले ही किसानों से किए गए अपने वादों को पूरा कर दिया है लेकिन विपक्ष फिलहाल किसानों का मुद्दा छोड़ने को तैयार नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 08:49 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 08:49 PM (IST)
Winter Session 2021: किसानों का मुद्दा नहीं छोड़ेगा विपक्ष, बिना चर्चा विधेयक पारित करने पर उठाए सवाल
कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसद के पहले दिन ही दोनों सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का 'कृषि कानूनों का निरस्तीकरण विधेयक, 2021' पारित कर सरकार ने भले ही किसानों से किए गए अपने वादों को पूरा कर दिया है, लेकिन विपक्ष फिलहाल किसानों का मुद्दा छोड़ने को तैयार नहीं है। संसद के दोनों सदनों के भीतर और बाहर सोमवार को कांग्रेस सहित करीब समूचे विपक्ष की जो रणनीति दिखी, उससे साफ है कि वह आगे भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने सहित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने जैसी मांगों को लेकर अपने तीखे विरोध को जारी रखेगा।

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राहुल गांधी बोले, चर्चा से डरती है सरकार

कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इसके संकेत दिए। उन्होंने कहा कि आपने कहा प्रधानमंत्री ने माफी मांगी, इसका मतलब प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनकी गलती के कारण 700 लोग मारे गए, उनकी गलती से आंदोलन हुआ। अगर उन्होंने गलती मानी है तो नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी। ।

राहुल गांधी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा, हमने कहा था कि जो तीन काले कानून हैं इनको वापस लेना पड़ेगा क्योंकि हमें पता था कि तीन-चार जो बड़े पूंजीपति है उनकी शक्ति हिंदुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती और वही हुआ। यह किसानों की जीत है, देश की सफलता है, लेकिन जिस प्रकार इन तीनों कृषि कानूनों को बगैर किसी चर्चा के रद किया गया, वह दर्शाता है कि सरकार चर्चा से डरती है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि जो 700 प्रदर्शनकारी शहीद हुए हैं, उनके बारे में चर्चा हो। एमएसपी, लखीमपुर खीरी, गृह राज्यमंत्री आदि मुद्दों पर चर्चा हो, जो नहीं होने दिया गया। वे अभी भी उनकी मांगें हैं, हम उनका समर्थन करते हैं।


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