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...तो इसलिए जलाया नहीं, दफनाया जाएगा डीएमके के दिवंगत नेता करुणानिधि का पार्थिव शरीर!

तमिलनाडु में अन्नादुरै की प्रतिनिधित्व में बनी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम(डीएमके) राज्य की राजनीति में द्रविड़ सामज के प्रति वैचारिक महत्व रखती है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 11:03 AM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 02:04 PM (IST)
...तो इसलिए जलाया नहीं, दफनाया जाएगा डीएमके के दिवंगत नेता करुणानिधि का पार्थिव शरीर!
...तो इसलिए जलाया नहीं, दफनाया जाएगा डीएमके के दिवंगत नेता करुणानिधि का पार्थिव शरीर!

नई दिल्‍ली, जेएनएन। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके के दिवंगत नेता मुथुवेल करुणानिधि का पार्थिव शरीर जलाया नहीं, बल्कि दफनाया जाएगा। करुणानिधि नास्तिक थे, ईश्‍वर में उनकी आस्‍था नहीं थी, ये बात किसी से छिपी नहीं है। लेकिन उनके शरीर को दफनाए जाने के पीछे असल वजह कुछ और है। हालांकि करुणानिधि के समाधि स्‍थल को लेकर भी विवाद हुआ।

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भारत में रहने वाले द्रविड़ लोगों के इतिहास के बारे में काफी कम जानकारी मिलती है। खासकर उन लोगों के बारे में जो आर्यों से पहले तक देश में रहा करते थे। आर्यों और द्रविड़ों का सांस्कृतिक मिश्रण कुछ इस सघनता से हुआ है कि यह कहना बड़ा कठिन है, आर्य कहां से आये और द्रविड़ कहां से? इतिहासकारों का मानना है कि द्रविड़ जाति प्राचीन विश्व की अत्यन्त सुसभ्य जाति थी और भारत में भी सभ्यता का वास्तविक प्रारम्भ इसी जाति ने किया था।

तमिलनाडु में अन्नादुरै की प्रतिनिधित्व में बनी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम(डीएमके) राज्य की राजनीति में द्रविड़ सामज के प्रति वैचारिक महत्व रखती है। पार्टी के मुखिया रहे अन्नादुरै का द्रविड़ आंदोलन में बड़ा नाम रहा है, अन्ना वैचारिक तौर पर हमेशा ब्राह्मणवादी परंपरा के विरोधी रहे। यही कारण था हिन्दू होने के बावजूद उनके निधन के बाद अन्ना के पार्थिव शरीर को जलाने के बाजाए चेन्नई के मरीना बीच पर दफनाया गया।

तभी से द्रविड़ों के प्रति संवेदना रखने वाले राजनीतिक शख्सियत के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को ब्राह्मणवादी परंपरा के विरुद्ध, जलाए जाने के बजाए दफनाने की परंपरा चली आ रही है। इस वजह से एम करुणानिधि के पार्थिव शरीर को भी दफनाया जाने का निर्णय लिया गया।

करुणानिधि की समाधि को लेकर ये था विवाद

तमिलनाडु सरकार ने डीएमके को उसके दिवंगत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के समाधि स्थल के लिए मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया था। सरकार के इस कदम पर विवाद पैदा हो गया। इसके बाद मामला कोर्ट में गया। दरअसल, डीएमके समाधि स्थल के लिए मरीना बीच इसलिए चाहती है, क्योंकि यहीं पर द्रविड़ के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की समाधि है। कोर्ट ने भी डीएमके के पक्ष में फैसला सुनाया।


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