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जब ममता ने संसद में 22 मिनट में 14 बार बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ बोला

लोकसभा के रिकॉर्ड बताते हैं कि चार अगस्त 2005 को लोकसभा में ममता बनर्जी ने बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ का मुद्दा संसद में जोर-शोर से उठाया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 09:08 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 09:12 AM (IST)
जब ममता ने संसद में 22 मिनट में 14 बार बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ बोला
जब ममता ने संसद में 22 मिनट में 14 बार बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ बोला

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। बात 13 साल पुरानी है। हमारे राजनेता अपने रुख और नीति से कैसे पलटी खाते हैं, यह घटना उसकी बानगी पेश करती है। लोकसभा के रिकॉर्ड बताते हैं कि चार अगस्त 2005 को लोकसभा में ममता बनर्जी ने बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ का मुद्दा संसद में जोर-शोर से उठाया। तब वे अपनी पार्टी की अकेली लोकसभा सदस्य थीं। अवैध घुसपैठ को गंभीर मसला बताते हुए उन्होंने इसे आपदा तक करार दिया था।

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तब क्या कहा था..
लोकसभा रिकॉर्ड के अनुसार 2005 में लोकसभा में ममता बनर्जी ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों का मसला बहुत गंभीर रूप ले चुका है। हमारी मतदाता सूची में भारतीयों के साथ इनके नाम भी शामिल हो चुके हैं। यह किसी आपदा से कम नहीं है।

अनुमति के पीछे का तर्क
लोकसभा रिकॉर्ड के अनुसार, 26 जुलाई को लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी बांग्लादेश से भारत में बड़े स्तर पर हो रही घुसपैठ विषय पर स्थगन प्रस्ताव ले आए थे। उस दिन लोकसभा में ममता बनर्जी अनुपस्थित थी। इसी आधार पर ममता की दलील थी कि चूंकि वे उस दिन अनुपस्थित थीं, लिहाजा चार अगस्त के दिन उन्हें मामला उठाने की अनुमति दी जाए।

पेपर फाड़े, हंगामा किया
लोकसभा की कार्यवाही के दौरान चूंकि उन्हें तत्कालीन डिप्टी स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल ने मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी। डिप्टी स्पीकर का कहना था कि उन्हें तत्कालीन स्पीकर सोमनाथ चटर्जी इस मसले को उठाने की अनुमति देने से पहले ही मना कर चुके हैं। बावजूद इसके उन्होंने 22 मिनट के दौरान 14 बार इस मसले को उठाया।

आखिरकार ममता बनर्जी गुस्से में आ गईं और अपने हाथों में पकड़े पेपर्स को फाड़कर डिप्टी स्पीकर की तरफ फेंक दिया। नोटिस अस्वीकृत होने पर ममता बनर्जी ने कहा था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ये समस्या बंगाल की है। इसीलिए इसे दबाया जा रहा है।

उस वक्त यूपीए और लेफ्ट के कई सदस्यों ने अलग से बयान जारी कर ममता के इस व्यवहार की निंदा की और कहा कि उन्होंने सदन की गरिमा का अपमान किया है। साथ ही ममता से माफी की भी मांग की थी। आज वही ममता बनर्जी, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस के मुद्दे पर कहती हैं कि अगर बंगाल में एनआरसी लागू किया गया तो गृह युद्ध छिड़ जाएगा। इससे पहले ममता ने एनआरसी को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की।  


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