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न्यायपालिका की कमान नये मुखिया के हाथ आने से क्या बदलेगी कार्यप्रणाली!

सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या नये चेहरे के साथ न्यायपालिका की कार्यप्रणाली भी बदलेगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 08:08 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 07:24 AM (IST)
न्यायपालिका की कमान नये मुखिया के हाथ आने से क्या बदलेगी कार्यप्रणाली!
न्यायपालिका की कमान नये मुखिया के हाथ आने से क्या बदलेगी कार्यप्रणाली!

माला दीक्षित, नई दिल्ली। न्यायपालिका की कमान नये मुखिया के हाथ आने वाली है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 3 अक्टूबर से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। जस्टिस गोगोई चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाली ऐतिहासिक प्रेस कान्फ्रेंस में शामिल थे। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या नये चेहरे के साथ न्यायपालिका की कार्यप्रणाली भी बदलेगी।

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तीन अक्टूबर को जस्टिस रंजन गोगोई संभालेंगे भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद

उत्सुकता इस बात को लेकर है कि मुख्य न्यायाधीश के कार्य आवंटन पर सवाल उठाने वाले न्यायाधीश जब स्वयं पद संभालेंगे तो न्यायपालिका की साख और उच्च मानदंड बनाए रखने के लिए कौन से तौर तरीके और व्यवस्था अपनाएंगे। निश्चित तौर पर लोगों को आने वाले नये मुख्य न्यायाधीश से बड़ी अपेक्षाएं हैं।

इसी वर्ष 12 जनवरी को हुई प्रेस कान्फ्रेंस में तत्कालीन वरिष्ठतम न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर (अब सेवानिवृत), जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने हिस्सा लिया था। कोलीजियम में पांच सदस्य होते हैं चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के अलावा मुख्य न्यायाधीश कोलीजियम के सदस्य होते हैं। कोलीजियम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण का फैसला करती है। कोलीजियम पर निगाह डालें तो जस्टिस चेलमेश्वर जून में सेवानिवृत हो गए थे।

दिसंबर तक बदल जाएगी कोलीजियम की पूरी शक्ल

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को सेवानिवृत हो जाएंगे। दूसरे नंबर के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई उनकी जगह मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। जस्टिस कुरियन जोसेफ 29 नवंबर और जस्टिस मदन बी लोकूर 30 दिसंबर को सेवानिवृत हो जाएंगे। यानी दिसंबर तक सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम की शक्ल बदल जाएगी। पुराने में से केवल एक ही चेहरा बचेगा। बाकी चार सदस्य नये शामिल हो चुके होंगे।

जस्टिस गोगोई अगले वर्ष 17 नवंबर 2019 तक मुख्य न्यायाधीश रहेंगे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के ही चार न्यायाधीश सेवानिवृत होंगे। पहले ही सुप्रीम कोर्ट मे छह पद खाली है चार और मिल कर कुल दस रिक्तियां हो जाएंगी जिन्हें भरने की प्रक्रिया जस्टिस गोगोई के कार्यकाल में ही होगी। इसके अलावा हाईकोर्ट में 427 पद रिक्त हैं उन्हें भी भरा जाएगा।

न्यायाधीशों की नियुक्तियों में पिछले दिनों काफी विवाद उठे थे। भर्तियों में सरकार की दखलंदाजी का आरोप लगाते हुए कोलीजियम के सदस्यों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखे थे। ऐसे में सभी के बीच संतुलन और सामंजस्य बनाते हुए रिक्तियां भरना किसी भी मुख्य न्यायाधीश के लिए चुनौती पूर्ण काम होता है और ये चुनौती जस्टिस गोगोई के सामने भी होगी।

कार्य आवंटन पर निगाह डालें तो यह तय व्यवस्था है कि मुख्य न्यायाधीश ही मास्टर आफ रोस्टर होता है। वही तय करता है कि कौन सा केस किस पीठ में सुनवाई के लिए लगेगा। गत जनवरी की प्रेस कान्फ्रेंस मे जस्टिस मिश्रा के कार्य आवंटन पर सवाल उठाए गए थे। उस प्रेस कान्फ्रेंस में चारो न्यायाधीशों की ओर से जारी किये गए पत्र में मुख्य न्यायाधीश पर महत्वपूर्ण मामलों को अपने पसंदीदा पीठों को दिये जाने का आरोप लगाया गया था। कार्य आवंटन के विवाद के बाद जस्टिस मिश्रा ने न्यायाधीशों का रोस्टर सार्वजनिक कर दिया था।

लागू रोस्टर के मुताबिक जनहित याचिकाएं, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं सहित 12 श्रेणियों के केस मुख्य न्यायाधीश के पास हैं। जिसमें जनहित याचिकाएं सिर्फ मुख्य न्यायाधीश के ही पास हैं बाकी श्रेणियां अन्य न्यायाधीशों के पास भी हैं। ऐसे में देखना होगा कि नये मुख्य न्यायाधीश के आने के बाद रोस्टर में क्या बदलाव होता है।


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