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जानें क्‍या होता है प्रोटेम स्‍पीकर और इसकी शक्तियां, इस पद के लिए इन नामों की है चर्चा

लोकसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आने वाली पार्टी या गठबंधन की पहली प्राथमिकता प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करने की होती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 09:45 AM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 09:46 AM (IST)
जानें क्‍या होता है प्रोटेम स्‍पीकर और इसकी शक्तियां, इस पद के लिए इन नामों की है चर्चा
जानें क्‍या होता है प्रोटेम स्‍पीकर और इसकी शक्तियां, इस पद के लिए इन नामों की है चर्चा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री के तौर पर कमान संभाल ली है। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में हजारों लोगों व अनेक खास मेहमानों की मौजूदगी में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। पीएम मोदी के अलावा कुल 57 मंत्री बनाए गए हैं। अब सबसे अहम काम 17वीं लोकसभा में चुनकर आए सभी सदस्‍यों को शपथ दिलाने का है। इसके लिए राष्‍ट्रपति से मंजूरी ली जाएगी, जिसके बाद लोकसभा का सत्र बुलाया जाएगा जिसमें प्रोटेम स्‍पीकर सांसदों को शपथ दिलवाएंगे।

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आपको बता दें कि जब भी कोई नई लोकसभा गठित होती है तो संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में सबसे अधिक समय गुजारने वाले सदस्य या निर्वाचित सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। संसदीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति के पास भेजता है। इसके बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते हैं, जो नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाता है। नए सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सरकार दो-तीन नामों की सिफारिश करती है। करीब दो दिनों तक सदस्यों को शपथ दिलाने का काम चलता है और इसके बाद सदस्य अपने लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हैं।

प्रोटेम स्पीकर सामान्य चुनाव के बाद संसद के निचले सदन की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है, इसके अलावा बैठक में अध्यक्ष और उपसभापति का चुनाव होता है, यदि यह एक नया गठित सदन है। इस बार संतोष गंगवार को प्रोटेम स्पीकर बनाया जा सकता है। संतोष गंगवार 8वीं बार सांसद बने हैं। इस बार भी वह यूपी की बरेली संसदीय सीट से चुनकर आए हैं। इनके अलावा मेनका गांधी के नाम की भी इस पद के लिए चर्चा जोरों पर है। वह भी आठ बार से सांसद हैं। वे उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर सीट से विजयी हुई हैं। मेनका पिछली सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं। कार्यवाहक स्पीकर के दो कार्य होते हैं-

  • संसद सदस्यों को शपथ दिलवाना
  • नवीन स्पीकर चुनाव प्रक्रिया का अध्यक्ष भी वही बनता है

क्या होता है प्रोटेम स्पीकर?

प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ होता है- 'कुछ समय के लिए'। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक लोकसभा या विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती। प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलवाता है और शपथ ग्रहण का पूरा कार्यक्रम इन्हीं की देखरेख में होता है। सदन में जब तक सांसद शपथ नहीं ले लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता। सबसे पहले सांसद को शपथ दिलाई जाती है। जब सांसदों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद यह सभी लोकसभा स्पीकर का चुनाव करते हैं। संसदीय परंपरा के मुताबिक राष्ट्रपति सदन में वरिष्ठतम सदस्यों में से किसी एक को प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं। यही व्यवस्था लोकसभा के अलावा विधानसभा के लिए होती है। अभी तक सामान्यत: सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

क्या होती हैं प्रोटेम स्पीकर की शक्तियां

लोकसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आने वाली पार्टी या गठबंधन की पहली प्राथमिकता प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करने की होती है। संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में सबसे अधिक समय गुजारने वाले सदस्य या निर्वाचित सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। संसदीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति के पास भेजता है। इसके बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते हैं, जो नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाता है। नए सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सरकार दो-तीन नामों की सिफारिश करती है। करीब दो दिनों तक सदस्यों को शपथ दिलाने का काम चलता है और इसके बाद सदस्य अपने लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हैं।

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