जनिए, धान पर केंद्र ने ऐसा क्या कर दिया कि बढ़ गई है छत्तीसगढ़ सरकार की चिंता
केंद्र सरकार ने पत्र भेजकर साफ कह दिया कि अगर केंद्र से घोषित समर्थन मूल्य से अधिक दर पर धान की खरीद की गई तो वह केंद्रीय पूल में चावल नहीं लेगा।
रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने किसान और धान के दम पर भाजपा की 15 वर्ष की सत्ता को उखाड़ फेंका, लेकिन अब केंद्र सरकार ने ऐसा दांव चल दिया है कि सरकार की चिंता बढ़ गई है। दरअसल कांग्रेस ने चुनाव में किसानों को धान का प्रति क्विंटल 25 सौ रुपये भाव देने का वादा किया था। सत्ता में आते ही कांग्रेस की सरकार ने न केवल वादे के अनुसार धान की बढ़ी हुई कीमत दी बल्कि किसानों का अल्पकालीन ऋण भी माफ कर दिया, लेकिन इस बार धान खरीद शुरू होने से पहले ही केंद्र सरकार ने अड़ंगा लगा दिया।
केंद्र सरकार ने पत्र भेजकर साफ कह दिया कि अगर केंद्र से घोषित समर्थन मूल्य से अधिक दर पर धान की खरीद की गई तो वह केंद्रीय पूल में चावल नहीं लेगा। अब अगर केंद्र सरकार चावल नहीं लेगी तो एक तो इसका पूरा आर्थिक बोझ राज्य के खजाने पर पड़ेगा, दूसरा राज्य सरकार इतने धान का करेगी क्या?
इस पर प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की राजनीति गर्म हो गई। भाजपा वादा निभाने की मांग कर रही है तो कांग्रेस केंद्र सरकार को किसान विरोधी बता रही है। कांग्रेस ने इस मामले में प्रदेशभर के किसानों से प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखवाया और करीब 17 लाख पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है।
बैकफुट पर राज्य सरकार
केंद्र सरकार के कड़े रुख के कारण राज्य सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। राज्य सरकार अब केंद्र से घोषित समर्थन मूल्य 1815 और 1835 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर ही धान खरीद कर रही है। बाकी राशि 668 और 665 रुपये किसानों को कैसे दिया जाए इसका तरीका खोजने के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया है। यह समिति विभिन्न् राज्यों का दौरा कर इसका रास्ता निकालेगी।
इस वजह से धान के कटोरे में आया उबाल
छत्तीसगढ़ में किसान बड़ा वोट बैंक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 37.46 लाख किसान हैं। इनमें 76 फीसदी लघु व सीमांत श्रेणी में आते हैं। राज्य में सर्वाधिक धान की खेती होती है। यहां 23 हजार से अधिक वैराइटी की धान उगाई जाती है। छोटे-बड़े करीब 20 लाख से अधिक किसान धान की खेती करते हैं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ को देश का धान का कटोरा कहा जाता है। इस बार करीब करीब 20 लाख किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है।
धान खरीद का पहला सप्ताह
एक दिसंबर से धान की खरीद शुरू हुई है। एक सप्ताह में सात लाख 11 हजार 306 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। राज्य सरकार ने धान बेचने वाले एक लाख 26 हजार 897 किसानों को 776 करोड़ धपये का भुगतान भी कर दिया है। पहले हफ्ते में एक लाख 73 हजार 491 किसानों ने धान बेचा है। प्रतिदिन औसतन 1.40 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो रही है।
केंद्र सरकार से चर्चा का दौर जारी
छत्तीसगढ़ खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि केंद्रीय खाद्य मंत्री से सेंट्रल पूल में छत्तीसगढ़ का 32 लाख मीट्रिक टन धान लिए जाने को लेकर चर्चा का दौर जारी है। पत्राचार भी हो रहा है। केंद्र से अनुमति नहीं मिली, इसलिए किसानों का धान खरीदकर रोककर नहीं रखा जा सकता। उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द अनुमति दे देगी।
खरीफ वर्ष केंद्रीय पूल में लिए गए चावल की मात्रा (लाख मिट्रिक टन में)
वर्ष एफसीआइ राज्य के पीडीएस कुल
2014-15 23.49 12.07 35.56
2015-16 27.75 10.63 33.38
2016-17 24.41 15.85 40.26
2017-18 16.20 15.53 34.73
2018-19 23.88 15.26 39.14
वर्ष धान खरीदी किसानों को भुगतान
2014-15 6310424 8726.77
2015-16 5929232 8482.05
2016-17 6959059 9860.76
2017-18 5688938 8890.87
2018-19 8038030 16933.06
(नोट-धान की मात्रा मिट्रिक टन और भुगतान की राशि करोड़ स्र्पये में)
छत्तीसगढ़ में किसान
- 37 लाख 46 हजार से अधिक है प्रदेश में किसान।
- 125 लाख मिट्रिक टन धान के उत्पादन का है अनुमान।
- 85 लाख मिट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य है।
- 19.70 लाख किसानों ने कराया है पंजीयन
- 01 दिसंबर से राज्य सरकार ने धान की खरीद शुरू की
- 2048 सौ खरीद केंद्र, 13 सौ समितियों में खरीद हो रही
- 15 फरवरी 2020 तक धान की खरीद रहेगी जारी
बहार से आने वाली धान पर सख्ती
- 2270 प्रकरण धान के अवैध परिवहन के दर्ज किए गए
- 2138 कोचियों और 132 अंतरराज्यीय बिचौलियों को पकड़ा
- 29170 टन धान अवैध रूप से स्टोर और परिवहन करते जब्त हुआ
- 260 वाहनों को जब्त किया, जो धान का अवैध परिवहन कर रहे थे