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पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान, जानिए कैसे मानसिक लड़ाई का हिस्सा है भाजपा का यह बड़ा लक्ष्य

पिछले दिनों भाजपा का प्रदर्शन बिहार विधानसभा के साथ-साथ कई राज्यों के उप चुनाव और पंचायत चुनाव तक में भी बहुत अच्छा रहा है। ऐसे में बंगाल में भाजपा की ओर से बड़ा लक्ष्य जाहिर तौर पर ममता को परेशान कर सकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 10:28 PM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 10:32 PM (IST)
पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान, जानिए कैसे मानसिक लड़ाई का हिस्सा है भाजपा का यह बड़ा लक्ष्य
बंगाल में रोड शो के दौरान विक्ट्री साइन दिखाते हुए गृह मंत्री अमित शाह

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बंगाल की सत्ता पर 10 साल से काबिज ममता बनर्जी को भाजपा के साथ दो मोर्चो पर जंग करना होगा- जमीनी और मानसिक। जमीनी स्तर पर वह कहां होंगी, यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि वह मानसिक लड़ाई कितनी मजबूती से लड़ पाती हैं? दरअसल, एक तरफ जहां वह लगातार अपने विश्वस्तों और बड़े सिपहसालारों को खोती जा रही हैं, वहीं भाजपा ने अपने लिए 200 प्लस का लक्ष्य तय किया है। माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में यह सवा दो सौ का लक्ष्य भी हो सकता है, जो पिछली बार ममता के प्रदर्शन से ज्यादा होगा।

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यूं तो बड़े लक्ष्य घोषित करना राजनीतिक बयान भर माना जाता है। लेकिन पिछले दिनों में भाजपा ने इसे पूरा करने का दमखम भी दिखाया है। खुद बंगाल में लोकसभा चुनाव में 22 सीटों की बात की जा रही थी और पार्टी 18 सीटों पर जीती थी। भाजपा के विश्वास का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिस गुजरात विधानसभा में भाजपा बहुत नजदीकी जंग जीती थी, वहीं अब सौ फीसद यानी मिशन 182 की घोषणा कर दी गई है। यह घोषणा विपक्ष में खलबली मचाएगी। ठीक वैसे ही जैसे बंगाल में मची है। पिछले दिनों भाजपा का प्रदर्शन बिहार विधानसभा के साथ-साथ कई राज्यों के उप चुनाव और पंचायत चुनाव तक में भी बहुत अच्छा रहा है। ऐसे में बंगाल में भाजपा की ओर से बड़ा लक्ष्य जाहिर तौर पर ममता को परेशान कर सकता है।

तृणमूल में ममता के बाद सबसे अधिक लोकप्रिय नेता माने जाते थे सुवेंदु अधिकारी

ध्यान रहे कि ममता अपनी सनक और तेवर के लिए जानी जाती हैं। इसी तेवर के कारण वह अपने विश्वस्तों को भी खो रही हैं। पहले मुकुल रॉय जैसे तृणमूल संगठन के सबसे बड़े कर्ताधर्ता और अब सुवेंदु अधिकारी जैसे क्षमतावान नेता। ध्यान रहे कि सुवेंदु तृणमूल में ममता के बाद सबसे अधिक लोकप्रिय नेता माने जाते थे। वाम मोर्चे से लड़ाई में सुवेंदु ने बतौर युवा मोर्चा अध्यक्ष अहम भूमिका निभाई थी। उनकी पूरे बंगाल में पहचान है। सुवेंदु का आना और भाजपा की ओर से तय बड़े लक्ष्य ने तृणमूल के अंदर खलबली मचाने में कैटेलिस्ट का काम किया है। यानी एक झटके में भाजपा ऐसे क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार और संगठनकर्ता खड़े करने में सक्षम हो गई है, जहां फिलहाल इसकी कमी थी। छह साल पहले तक भाजपा के लिए बंजर रहे बंगाल में दो सौ, सवा दो सौ का लक्ष्य घोषित करना मानसिक लड़ाई का भी तरीका है। भाजपा कार्यकर्ताओं में जहां यह जोश जगाएगा, वहीं विपक्ष को बेचैन करेगा। वैसे माना जा रहा है कि भाजपा तृणमूल से आने वाले नेताओं को पूरी समीक्षा के बाद ही प्रवेश देगी।


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