बंगाल में तीन विधानसभा सीटों पर मतदान कल, मतगणना 28 नवंबर को
उपचुनाव में भाजपा की जीत किसी चुनौती से कम नहीं होगी। क्योंकि इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम व दलितों की आबादी बहुलता में है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। बंगाल में विधानसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव को सोमवार को मतदान है। 28 नवंबर को मतगणना होगी। इन तीनों ही सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन कांग्रेस व माकपा गठबंधन तृणमूल और भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है जब एक बार फिर से सत्तारूढ़ तृणमूल और भाजपा एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे।
विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव
जिन तीन सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं उनमें से एक-एक पर तृणमूल, भाजपा और कांग्रेस का कब्जा है। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें पश्चिम मेदिनीपुर जिले की खड़गपुर सदर, नदिया जिले की करीमपुर व उत्तर दिनाजपुर की कालियागंज सीटें शामिल हैं।
तृणमूल, भाजपा और कांग्रेस के कब्जे वाली हैं तीनों सीटें
कालियगंज सीट कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ राय के निधन से खाली हुई है। खड़गपुर सीट से पिछली बार विधायक चुने गए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था। करीमपुर की तृणमूल विधायक महुआ मैइत्रा ने भी कृष्णनगर संसदीय सीट से जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था।
उपचुनाव में भाजपा की चुनौती
उपचुनाव में भाजपा की जीत किसी चुनौती से कम नहीं होगी। क्योंकि इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम व दलितों की आबादी बहुलता में है। इन क्षेत्रों के ज्यादातर दलित शरणार्थी हैं, जिनके पूर्वज 1971 में मुक्ति युद्ध के दौरान तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश से भाग कर भारत आए थे।
भाजपा शीर्ष नेतृत्व बंगाल में एनआरसी लागू करने को प्रतिबद्ध, जबकि ममता खिलाफ
दूसरी ओर भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि वे राज्य में एनआरसी लागू करने को प्रतिबद्ध हैं। हालांकि ममता इसके खिलाफ आवाज उठाने के साथ ही 'दीदी को बोलो' अभियान के जरिए स्थानीय स्तर पर लोगों से जुड़ने को लगातार अपने पार्टी नेताओं व कर्मियों को लगाए हुए हैं।
तृणमूल को उपचुनाव में लाभ मिल सकता है
ऐसे में तृणमूल को उम्मीद है कि उनको इसका उपचुनाव में लाभ मिलेगा। इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा माकपा व काग्रेस गंठबंधन को तृणमूल का एकमात्र विकल्प मान रहे हैं।