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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा- जातिविहीन और वर्गविहीन होना चाहिए भविष्य का भारत

यहां 27वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच में जिज्ञासा तार्किकता और खुली विचारशीलता समाहित होती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 02:21 AM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 02:21 AM (IST)
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा- जातिविहीन और वर्गविहीन होना चाहिए भविष्य का भारत
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा- जातिविहीन और वर्गविहीन होना चाहिए भविष्य का भारत

वरकला (केरल), प्रेट्र। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि आर्थिक और तकनीकी मोर्चे पर देश ने महत्वपूर्ण कामयाबी अर्जित की है, लेकिन जाति, समुदाय और लिंग के आधार पर भेदभाव के बढ़ते मामले बड़ी चिंता का कारण हैं। उन्होंने कहा कि जातिगत भेदभाव खत्म किया जाना समय की जरूरत है।

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देश से जाति व्यवस्था खत्म होनी चाहिए

राज्य की राजधानी से 45 किलोमीटर दूर शिवगिरि मठ में 87वें शिवगिरि श्रद्धालु सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश से जाति व्यवस्था खत्म होनी चाहिए और भविष्य का भारत जातिविहीन और वर्गविहीन होना चाहिए। उन्होंने गिरजाघरों, मस्जिदों और मंदिरों के प्रमुखों से जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म करने के लिए काम करने को कहा।

भारत को आर्थिक और तकनीकी मोर्चे पर महत्वपूर्ण मिली कामयाबी

नायडू ने कहा कि मठ के संस्थापक श्री नारायण गुरु महान संत और क्रांतिकारी मानवतावदी थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था और अन्य विभाजनकारी प्रवृत्ति को खारिज किया। उन्होंने कहा कि भारत को आर्थिक और तकनीकी मोर्चे पर महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है, लेकिन देश में कुछ ऐसे हिस्से हैं जहां सामाजिक बुराइयां विद्यमान हैं।

जाति, समुदाय और लिंग के आधार पर भेदभाव बढ़ना चिंता का कारण

उपराष्ट्रपति ने कहा, 'हम अशांति के समय में रह रहे हैं। जाति, समुदाय और लिंग के आधार पर भेदभाव बढ़ना बड़ी चिंता का कारण है। हम सबको आत्मविश्लेषण करना होगा और व्यावहारिक कदम उठाना होगा।' इस मौके पर केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान, केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन, पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और राज्य के मंत्री के. सुरेंद्रन मौजूद थे।

शुरुआत से ही बच्चों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति पैदा करनी चाहिए

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि शुरुआत से ही बच्चों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति और जिज्ञासा पैदा की जानी चाहिए क्योंकि विज्ञान के पास हमारी हर समस्या का समाधान है और राष्ट्र के प्रौद्योगिकीय विकास में उसका बहुत योगदान है।

विज्ञान की शिक्षा बच्चों को बिना किसी पूर्वाग्रह के सत्य को खोजने की प्रेरणा देती है

27वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच में जिज्ञासा, तार्किकता और खुली विचारशीलता समाहित होती है। नायडू ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें न सिर्फ इसका समाधान खोजना है बल्कि हमें प्रकृति को भी सुरक्षित करना है। उन्होंने कहा, 'विज्ञान की शिक्षा बच्चों को बिना किसी पूर्वाग्रह के सत्य को खोजने की प्रेरणा देती है। इसके जरिये किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले बच्चे विश्लेषण, सवाल-जवाब और तार्किकता से काम ले सकते हैं।'


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