उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक साल के कार्यकाल में बनाया उल्लेखनीय रिकॉर्ड
नायडू ने 11 अगस्त 2017 को 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अपने एक साल के कार्यकाल में उल्लेखनीय रिकार्ड बनाया है। छात्रों, युवाओं, किसान, विज्ञान, अनुसंधान व संस्कृति से जुड़े विषयों पर उनके कार्यक्रम केंद्रित रहे। उन्होंने इस दौरान ऐसे 313 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया जो उनकी कुल भागीदारी का 60 फीसद है। नायडू ने देश के सभी 29 राज्यों में से 28 का दौरा कर लिया जबकि 56 विश्वविद्यालयों और 16 अनुसंधान संस्थानों में हिस्सा लिया। उन्होंने साल के 365 दिनों में से 313 दिन बाहर आयोजित समारोहों में शिरकत की है।
नायडू ने 11 अगस्त 2017 को 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने पद की गरिमा के अनुरूप देश के हर हिस्से का दौरा किया। देश की संस्कृति को जानने-समझने के साथ युवाओं व छात्रों और किसानों से संबंधित समारोहों में हिस्सा लिया। पिछले एक साल के दौरान उनकी सक्रियता से जुड़े समारोहों को लेकर सचिवालय ने एक रिपोर्ट तैयार की है।
सालभर के भीतर देश के 28 राज्यों का किया भ्रमण
उपराष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक नायडू पहले उपराष्ट्रपति होंगे, जिन्होंने पूर देश का भ्रमण किया है। सिक्किम मात्र एक ऐसा राज्य हैं, जहां नायडू पहुंचे तो पर मौसम खराब होने की वजह से लौटना पड़ा था। बाकी पूर्वोत्तर के सभी राज्यों का भ्रमण कर चुके हैं।
साल के 365 दिनों के भीतर 313 कार्यक्रमों में लिया हिस्सा
नायडू रोजाना औसतन 450 लोगों से मुलाकात करते हैं। राजधानी दिल्ली से बाहर 60 से अधिक दौरा किया, जिसमें उन्होंने 313 विभिन्न समारोहों में हिस्सा लिया है। पिछले एक साल में उन्होंने एक विदेश दौरा किया, जिमें लैटिन अमेरिकी देशों ग्वाटेमाला, पनामा और पेरु का भ्रमण किया। भारत के दौरे पर आये 22 विभिन्न देशों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, जिनमें जर्मनी, स्विटजरलैंड और बेल्जियम के राष्ट्रपति शामिल है, जबकि नेपाल, कंबोडिया और इटली के प्रधानमंत्री शुमार हैं।
राज्यसभा के तीन सत्रों में 27 विधेयक पारित कराने में मिली सफलता
राज्यसभा के सभापति के रूप में नायडू ने उल्लेखनीय व सराहनीय प्रदर्शन किया है। इस एक साल के दौरान तीन विभिन्न संसद सत्रों में नायडू ने 27 विधेयक पारित कराने में सफलता प्राप्त की है। जबकि पिछले दो सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गये थे।
सदन में कई बार ऐसे मौके आये, जब प्रश्नकाल में निर्धारित सभी सवालों के जवाब पूरे करा लिये गये। सख्त प्रशासक के रूप में सभापति नायडू ने राज्यसभा के तीन सदस्यों को अयोग्य भी ठहराया। राज्यसभा में सभी 22 भाषाओं में सांसदों को अपनी बात कहने की सुविधा प्रदान की।