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उपराष्ट्रपति ने कहा, आतंकवाद से निपटने के लिए मजूबत और ठोस कार्ययोजना बनाए यूएन

वेंकैया ने आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों से संबंधित जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए वैश्विक नीति बनाने पर भी जोर दिया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 07:40 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 07:28 AM (IST)
उपराष्ट्रपति ने कहा, आतंकवाद से निपटने के लिए मजूबत और ठोस कार्ययोजना बनाए यूएन
उपराष्ट्रपति ने कहा, आतंकवाद से निपटने के लिए मजूबत और ठोस कार्ययोजना बनाए यूएन

नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से आतंकवाद के प्रायोजकों, वित्तीय मददगारों और अन्य तरह से सहायता प्रदान करने वालों से निपटने के लिए मजूबत और ठोस कार्ययोजना बनाने का अनुरोध किया।

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अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलन में उपराष्ट्रपति ने पाक पर साधा निशाना

राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन द्वारा अपने रजत जयंती समारोहों के तहत आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलन में उपराष्ट्रपति ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि भारत का एक पड़ोसी देश शांति की बात करता है, लेकिन आतंकवाद को 'बढ़ावा और सहायता' भी पहुंचाता है।

आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं

उन्होंने कहा, 'आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।' संयुक्त राष्ट्र के अलावा अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारियों और स्कॉटलैंड, क्रोएशिया व अन्य देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुये वेंकैया ने कहा, 'आतंकवाद मानवता का शत्रु है। कुछ तत्व धर्म के नाम पर इसे फैला रहे हैं, लेकिन कोई भी धर्म हिंसा की बात नहीं करता है। भारत आतंकी हिंसा के दर्द पीडि़त है। पश्चिमी देश जब इससे पीडि़त होते हैं तब वे इस समस्या का अहसास करते हैं।'

असहमति के नाम पर हिंसा स्वीकार नहीं

उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'विघटनकारी असहमति' किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हो सकती। कुछ लोगों को लगता है कि वैचारिक असहमति के नाम पर निर्दोष लोगों को मारने और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने का उन्हें अधिकार है। लोकतंत्र में विरोधी मत होना जरूरी है, लेकिन इसके नाम पर किसी को मारने का हक किसी को नहीं होता। कट्टरपंथी निर्दोष मासूमों को मारते हैं और फिर इनके विरुद्ध करवाई करने पर अगले दिन मानवाधिकारों का दावा किया जाता है।

मानवाधिकार देश के विरुद्ध बोलने की आजादी नहीं देते

वेंकैया ने कहा, मानवाधिकार देश के विरुद्ध बोलने की आजादी नहीं देते। भारत ने अपने दो प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्री, कई सांसद और विधायकों को कट्टरपंथी हिंसा में खोया है। अब समय आ गया है कि मानवाधिकारों के दुरुपयोग को रोकने पर चर्चा हो। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथी हिंसा प्रभावित सीमावर्ती एवं अन्य राज्यों में मानवाधिकारों के दुरुपयोग पर निगरानी जरूरी है।

आर्थिक विषमता भी मानवाधिकार हनन का कारण

उपराष्ट्रपति ने आर्थिक भ्रष्टाचार को भी मानवाधिकार हनन से जोड़ते हुए कहा कि आर्थिक विषमता नागरिक अधिकारों के हनन का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि गरीबों के बैंक खाते खुलवाने का महत्व उन्हें नोटबंदी के बाद समझ आया था, जब अर्थव्यवस्था से असंबद्ध धन बैंकों में आकर अर्थतंत्र का हिस्सा बना। उन्होंने कालेधन को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार को मानवाधिकार हनन की अहम वजह बताते हुए कहा कि विश्व समुदाय को कालाधन उजागर करने के लिए वैश्विक संधि की पहल करनी चाहिए।

आर्थिक अपराधियों के लिए वैश्विक नीति

वेंकैया ने आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों से संबंधित जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए वैश्विक नीति बनाने पर भी जोर दिया।


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