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Vice President Election 2022: उपराष्ट्रपति पद का चुनाव कल, जानें- क्या है सियासी समीकरण

Vice President Election 2022 भारत में उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्ससभा के सदस्य वोटिंग करते हैं। इस चुनाव में वोटों की गिनती की प्रक्रिया बेहद अलग होती है। मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है। आइये जानते हैं...

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 10:58 AM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 12:28 PM (IST)
Vice President Election 2022: उपराष्ट्रपति पद का चुनाव कल, जानें- क्या है सियासी समीकरण
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ व मार्गरेट अल्‍वा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। उपराष्ट्रपति पद के लिए कल यानी 6 अगस्त को चुनाव होगा और उसी दिन ही चुनाव के नतीजे आ जाएंगे। मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है। एनडीए ने इस बार पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को उम्मीदवार बनाया, जबकि विपक्ष ने कांग्रेस नेता माग्ररेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया है। आइये जानते हैं उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया कैसे होती है-

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उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन करता है वोटिंग

भारत में उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। अगर किसी वजह से राष्ट्रपति का पद खाली होता है तो उनकी जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति संभालते हैं। पद में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति से छोटे और प्रधानमंत्री से बड़े होते हैं।

उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं। इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं। मतलब चुनाव में कुल 788 वोट डाले जा सकते है। इसमें लोकसभा के 543 सांसद और राज्यसभा 243 सदस्य वोट करते हैं। राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनीत सांसद भी हैं।

उपराष्ट्रपति के लिए क्या है योग्यता

उपराष्ट्रपति के चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी होता है। उसकी उम्र 35 से अधिक होनी चाहिए और वह राज्यसभा सदस्य चुने जाने की सभी योग्यताओं को पूरा करता हो। उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को 15,000 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा कराने होते हैं। चुनाव हार जाने या 1/6 वोट नहीं मिलने पर यह राशि चुनाव आयोग में जमा हो जाती है।

बैलेट पेपर से होता है चुनाव

इस चुनाव की खास बात यह है कि वोटिंग के दौरान सांसद को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है। बैलेट पेपर पर मतदाता को अपनी पसंद को 1, दूसरी को 2 और इसी तरह से प्राथमिकता तय करनी होती है।

कैसे होता है उपराष्ट्रपति की चुनाव

उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति के तहत होता है। इसमें मतदान खास तरह से होता है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में जितने सदस्यों के वोट पड़ते हैं, उसकी संख्या में 2 से भाग देते हैं और फिर उसमें एक जोड़ दिया जाता है। मान लीजिए की चुनाव में कुल 787 सदस्यों ने वोट डाल तो इसे 2 से भाग देंगे 393.50 आता है। इसमें 0.50 को हटा देंगे क्योकि दशमलव की बाद की संख्या नहीं गिनी जाती है। इसलिए यह संख्या 393 हुई। अब इसमें 1 जोड़ने पर संख्या 394 होता है। चुनाव जीतने के लिए 394 वोट मिलना जरूरी है।

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा के पास पर्याप्त संख्या

मौजूदा समय में भाजपा के पास लोकसभा सांसदों की सख्या 303 है। वहीं राज्यसभा में 93 सांसद हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल वोटों की संख्या पर नजर डालें तो भाजपा के पास आंकड़ा 395 का है, जबिक जीत के लिए सिर्फ 394 सदस्यों की जरूरत है।

वोटिंग खत्म होते ही शुरु होगी काउंटिंग

उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोटिंग खत्म होने के बाद उसी दिन ही गिनती होती है। पहले राउंड की गिनती में देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले वोट कितने मिले हैं। अगर पहले राउंड में ही किसी उम्मीदवार को जरूरी कोटे के बराबर या उससे ज्यादा वोट मिलते हैं तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है।

अगर ऐसा नहीं हो पाता तो उस उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है जिसे सबसे कम वोट मिले हैं। फिर दूसरी प्राथमिकता को चेक किया जाता है कि किस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा मिली है। फिर उसकी प्राथमिकता वाले ये वोट दूसरे प्रत्याशी में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।


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