उपराष्ट्रपति नायडू ने भारत की पंथनिरपेक्षता के बारे में कही महत्वपूर्ण बात
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, कुछ लोग शिकायत करते हैं कि पंथनिरपेक्षता खतरे में है।
अहमदाबाद, प्रेट्र। भारत में पंथनिरपेक्षता सुरक्षित है, क्योंकि यह हमारे डीएनए में है। शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 64वें राष्ट्रीय अधिवेशन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने यह बात कही।
नायडू ने कहा, 'कुछ लोग शिकायत करते हैं कि पंथनिरपेक्षता खतरे में है। भारत में पंथनिरपेक्षता नेताओं या सरकार के कारण नहीं बल्कि इसलिए सुरक्षित है, क्योंकि यह हर भारतीय के डीएनए में है। भारत में हर जाति, धर्म और क्षेत्र का व्यक्ति एक है - एक राष्ट्र, एक व्यक्ति। निसंदेह कहीं-कहीं कुछ घटनाएं होती हैं, जिनकी निंदा होनी चाहिए।'
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अन्य देश भारत की ओर देख रहे हैं, क्योंकि हम विकास के रास्ते पर हैं। उन्होंने विद्यार्थी परिषद के सदस्यों से 'राष्ट्र प्रथम' का संदेश प्रसारित करने को कहा। उपराष्ट्रपति ने कहा, 'हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। अपनी संस्कृति और इतिहास को भूल जाने वाला देश प्रगति नहीं कर सकता।' नायडू ने अपनी मातृभाषा को प्रसारित करने का आग्रह भी किया। साथ ही कहा कि बंगाली, गैर-बंगाली, तमिल, गैर-तमिल और हिंदी, गैर-हिंदी जैसे टकराव नहीं होने चाहिए।
कॉलेजों में सक्रिय हैं राष्ट्रवाद को कमजोर करने वाले : शाह
विद्यार्थी परिषद के सदस्यों को संबोधित करते हुए भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, 'एबीवीपी के समक्ष अब भी बहुत चुनौतियां हैं। कुछ लोग जानबूझकर ऐसे मुद्दे उठाते हैं, जिनका लक्ष्य राष्ट्रवाद को कमजोर करना है। इस तरह के लोग अब भी कॉलेज और हॉस्टल कैंपस में सक्रिय हैं।
हमने हाल में देश के कई हिस्सों में ऐसा देखा है। इस स्थिति से पार पाने के लिए एबीवीपी के लोगों को अपनी विचारधारा को प्रसारित करना होगा।' शाह ने खुलकर नहीं कहा लेकिन उनका संकेत दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की ओर था। 2016 में जेएनयू में कथित तौर पर देश-विरोधी नारे लगाने का मामला सामने आया था।