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उपराष्ट्रपति बोले- सभी धर्मो के शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए जाना जाता है भारत

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कोलकाता में कहा कि लैंगिक या किसी भी आधार पर लोगों के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 09:26 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 09:26 PM (IST)
उपराष्ट्रपति बोले-  सभी धर्मो के शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए जाना जाता है भारत
उपराष्ट्रपति बोले- सभी धर्मो के शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए जाना जाता है भारत

कोलकाता, राज्य ब्यूरो।  उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि भारत विविधता में एकता, बहुलतावादी मूल्यों और सभी धर्मो के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए और लैंगिक या लोगों के बीच भिन्नताओं के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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कोलकाता के न्यूटाउन में स्थित विश्र्व बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में आयोजित रोटरी इंटरनेशनल के वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नायडू ने देश के युवाओं से सामाजिक सौहार्द बनाने पर ध्यान केंद्रित करने और समुदायों के बीच रिश्ते को मजबूत करने के लिए काम करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है और शांति व प्रगति के माहौल का हिमायती है। उन्होंने कहा कि विश्र्व समुदाय को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली किसी भी ताकत के खिलाफ लड़ने का संकल्प लेना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। आइए एक रुख अपनाएं, जहां हम सभी को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां शांति को बढ़ावा मिले। इस मौके पर किसी भी देश का नाम लिए बिना उपराष्ट्रपति ने कहा कि कहावत है कि आप अपने दोस्त को बदल सकते हैं, लेकिन अपने पड़ोसी नहीं बदल सकते हैं। उनका इशारा पाकिस्तान की तरफ था। उन्होंने कहा कि प्रगति के लिए शांति बहुत जरूरी है। भारत हमेशा से वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) की अवधारणा में विश्र्वास करता है।

सांसदों से रचनात्मक तरीके से चर्चा करने की अपील 

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत ने एक साथ रहने और एक साथ काम में विश्र्वास किया है। उन्होंने कहा कि 2030 तक महत्वाकांक्षी सतत विकास एजेंडा को लागू करने के लिए दुनिया को संभवत: इस दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर सांसदों से रचनात्मक तरीके से चर्चा और बहस करने की भी अपील की। उन्होंने युवाओं से अपनी मातृभाषाओं को न भूलने का भी आह्वान किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बांग्ला और ¨हदी में कुछ पंक्तियां भी बोलीं, जिसपर जमकर तालियां बजीं। इस मौके पर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ब्रात्य बसु ने भी उनके साथ मंच साझा किया।


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