रूस से पनडुब्बी खरीद पर अमेरिका को ऐतराज, भारत ने कहा- खरीद बेहद जरुरी
अमेरिका ने रूस पर काट्सा कानून लगाया हुआ है जो उन सभी देशों पर प्रतिबंध लगाता है जो रूस से रक्षा सौदे करते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस से पनडुब्बी खरीद के मुद्दे पर अमेरिका की तरफ से एक बार फिर ऐतराज जताया गया है, लेकिन भारत ने बगैर किसी लाग लपेट के यह स्पष्ट कर दिया है कि पनडुब्बी खरीद करना भारत के लिए ना सिर्फ जरुरी है बल्कि अभी रूस के अलावा दूसरा कोई भी देश उसकी इस जरुरत को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
पिछले दिनों अमेरिका की यात्रा पर गये विदेश सचिव विजय गोखले के समक्ष कांग्रेस के कुछ प्रमुख सदस्यों ने भारत-रूस के बीच हाल ही में हुए इस करार को लेकर अपनी नाराजगी जताई।
गोखले ने अमेरिकी पक्ष को यह भी बताया कि यह कोई पनडुब्बी खरीद का मुद्दा नहीं है बल्कि भारत सिर्फ पट्टे पर यह ले रहा है। अमेरिका के कुछ कांग्रेस सदस्यों ने पूर्व में रूस से इस करार को लेकर भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। अभी भी यह मामला अमेरिकी कांग्रेस में लंबित है।
भारत और रूस के बीच 7 मार्च, 2019 को पनडुब्बी लीज पर लेने का करार किया गया है। वैसे इसको लेकर पिछले छह वर्षो से दोनो देशों के बीच बातचीत चल रही थी। कुछ महीने पहले ही भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम को खरीदने का समझौता किया और अब इस करार के बाद चक्र नाम की यह पनडुब्बी भारतीय नौ सेना को वर्ष 2025 में सौंपी जाएगी।
एस-400 मिसाइल सिस्टम की लागत तकरीबन 5 अरब डॉलर की है जबकि इस पनडुब्बी की अनुमानित लागत तीन अरब डॉलर की है। इसकी एक अहम खासियत यह है कि इसे परमाणु हथियारों सुसज्जित किया जा सकता है। इससे भारतीय नौ सेना की ताकत में काफी इजाफा होने की बात रणनीतिक जानकार कह रहे हैं।
वैसे इस करार को लेकर अमेरिका पहले से ही यह धमकी दे रहा था कि इस पर प्रतिबंध लगा सकता है। अमेरिका ने रूस पर काट्सा कानून लगाया हुआ है जो उन सभी देशों पर प्रतिबंध लगाता है जो रूस से रक्षा सौदे करते हैं।
भारत का मानना है कि उसकी विशेष रणनीतिक जरुरत को देखते वह पनडुब्बी की खरीद नहीं कर रहा है बल्कि लीज पर हासिल कर रहा है। सनद रहे कि भारत और अमेरिका के बीच भी संयुक्त तौर पर पनडुब्बी बनाने की बात हो रही है लेकिन इसको जमीनी तौर पर उतरने में काफी वक्त लगेगा।