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जम्मू-कश्मीर के लिए राजभाषा विधेयक लाने को मंजूरी, अधिकारियों की स्‍किल बढ़ाने के लिए चलेगी कर्मयोगी योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई जिसमें कई महत्‍वपूर्ण फैसले लिए गए। जानें इन फैसलों के बारे में...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 03:39 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 10:00 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर के लिए राजभाषा विधेयक लाने को मंजूरी, अधिकारियों की स्‍किल बढ़ाने के लिए चलेगी कर्मयोगी योजना
जम्मू-कश्मीर के लिए राजभाषा विधेयक लाने को मंजूरी, अधिकारियों की स्‍किल बढ़ाने के लिए चलेगी कर्मयोगी योजना

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई जिसमें कई महत्‍वपूर्ण फैसले लिए गए। संसद में जम्मू-कश्मीर के लिए आधिकारिक भाषा विधेयक 2020 लाने को मंजूरी दी गई। इस विधेयक के मुताबिक, उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी आधिकारिक भाषा होंगी। इसके अलावा सरकारी अधिकारियों के लिए कर्मयोगी योजना को मंजूरी दी गई। सरकार ने इस महत्‍वपूर्ण सुझावों में से एक बताया है। 

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कश्मीरी को जम्मू-कश्मीर में पहली बार राजभाषा का दर्जा मिलेगा। वहीं पहले से मान्यता प्राप्त उर्दू और अंग्रेजी राजभाषा के रूप में बनी रहेंगी। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि संसद के आगामी सत्र में इस संबंध में विधेयक पेश किया जाएगा। संसद में विधेयक पेश हो जाने के बाद इस फैसले के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा सकेगी। दरअसल, पिछले साल अनुच्छेद-370 और 35ए हटाए जाने के बाद से सरकार जम्मू-कश्मीर में स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने में जुटी हुई है। कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को राजभाषा में शामिल करना इसी के तहत माना जा रहा है। 

राज्य के अधिकांश लोग डोगरी और कश्मीरी भाषा का प्रयोग करते हैं लेकिन इन दोनों ही स्थानीय भाषाओं को राजभाषा का दर्जा नहीं दिया गया था। यही नहीं, कश्मीरी और डोगरी भाषा में बड़ी संख्या में साहित्यिक कृतियां भी मौजूद हैं। राजभाषा का दर्जा नहीं मिलने से कश्मीरी और डोगरी में साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को राज्य सरकार का संरक्षण नहीं मिल पा रहा था। सरकार की मंशा से साफ है कि उर्दू और अंग्रेजी की जगह राज्य सरकार के कामकाज में कश्मीरी और डोगरी को तरजीह दी जाएगी।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि तीन महत्वपूर्ण समझौतों को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। पहला जापान के साथ वस्त्र मंत्रालय का, खनन मंत्रालय का फिनलैंड के साथ और नवीन ऊर्जा मंत्रालय का डेनमार्क के साथ... जावड़ेकर ने यह भी बताया कि सिविल सेवाओं में भर्ती होने के बाद विभिन्न कर्मचारियों की कार्यक्षमता और स्‍किल बढ़ाने के लिए 'कर्मयोगी योजना' नाम से लगातार कार्यक्रम चलाया जाएगा। 

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्‍मू-कश्‍मीर के लिए संसद में आधिकारिक भाषा विधेयक 2020 लाए जाने के मसले पर कहा कि राज्‍य की आधिकारि‍क भाषा में डोगरी, हिंदी और कश्मीरी को आधिकारिक भाषाओं के रूप में शामिल करना लंबे समय से लंबित सार्वजनिक मांग थी। पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्‍छेद 370 को हटाए जाने के बाद से समानता की भावना को ध्यान में रखते हुए इसे मंजूरी दी गई है। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सिविल सेवाओं में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज Mission Karmayogi को मंजूरी दी। मैं प्रधानमंत्री को इस दूरदर्शी रिफॉर्म के लिए धन्यवाद देता हूं। यह समग्र और व्यापक योजना संस्थागत क्षमता निर्माण के साथ अधिकारियों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। यह 21वीं सदी के लिए एक ऐतिहासिक सुधार है जो नई कार्य संस्कृति को सामने लाएगी। लक्ष्य संचालित और निरंतर प्रशिक्षण, सिविल सेवकों को प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए संवेदनशील बनाएगा। 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कर्मयोगी योजना के बारे में बताते हुए कहा कि यह 21वीं सदी का सरकार के मानव संसाधन के सुधार का बहुत बड़ा कदम कहलाएगा। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव सी चंद्रमौली ने बताया कि मिशन कर्मयोगी व्यक्तिगत (सिविल सेवकों) और संस्थागत क्षमता निर्माण पर केंद्रित है। मिशन कर्मयोगी का लक्ष्य भारतीय सिविल सेवकों को भविष्य के लिए और अधिक प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम बनाया जाएगा। 


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