मध्य प्रदेश के बसपा-सपा नेता उत्तर प्रदेश में तलाश रहे रिश्तेदार, पार्टी नेताओं ने सौंपी जिम्मेदारी
दोनों पार्टियों के लिए उत्तर प्रदेश में खोया जनाधार पाने के लिए पंचायत चुनाव काफी अहम हैं। यही वजह है कि मध्य प्रदेश के नेताओं- कार्यकर्ताओं को रिश्तेदारों और परिचितों को पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करने को कहा गया है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश के समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता राज्य की सीमा पार रिश्तेदारों को तलाश रहे हैं। उनसे संबंधों को पुनर्जीवित कर रहे हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में की पंचायतों में भी चुनाव हैं और यहां से लगते जिलों में रिश्तेदारी होना भी सामान्य है। ऐसे में दोनों दलों (बसपा-सपा) के मध्य प्रदेश के नेताओं को इन रिश्तेदारों के घर जाने और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। अलग-अलग राज्यों के नेताओं के बीच अधिकारों का टकराव न हो, इसलिए इस संबंध में पार्टी की ओर से आधिकारिक आदेश नहीं निकाला गया है, लेकिन सक्रियता बनाए रखने को कहा गया है।
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के मद्देनजर पार्टी नेताओं ने सौंपी जिम्मेदारी
दोनों पार्टियों के लिए उत्तर प्रदेश में खोया जनाधार पाने के लिए पंचायत चुनाव काफी अहम हैं। यही वजह है कि मध्य प्रदेश के नेताओं- कार्यकर्ताओं को रिश्तेदारों और परिचितों को पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करने को कहा गया है। नेटवर्क सक्रिय करने के लिए पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने झांसी मंडल का एक कार्यक्रम मध्य प्रदेश के ओरछा में किया था। इसका उद्देश्य भी यहां के नेताओं को उत्तर प्रदेश में सक्रिय करना था।
समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता यश भारतीय का कहना है कि इसमें पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए थे। उन्होंने सभी को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने के लिए कहा है। वहीं, बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल का कहना है कि पार्टी ने घोषित तौर पर यह नहीं कहा है कि मध्य प्रदेश के नेता उत्तर प्रदेश में प्रचार करें, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में बहुजन समाज की रिश्तेदारी है। उनसे हमारा जीवंत संपर्क भी है। ऐसे में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए काम करेंगे।
अधिकारों का टकराव टाला
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के नेताओं को घोषित तौर पर सक्रिय किया जाता तो प्रत्याशियों की पसंद-नापसंद का मामला उलझ जाता। ऐसे में सिर्फ पार्टी के पक्ष में काम करने के लिए मध्य प्रदेश के नेताओं को कहा गया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी नगरीय निकाय चुनाव होने हैं। इसी बहाने पार्टी नेता और कार्यकर्ता सक्रिय होंगे तो मध्य प्रदेश में इसका फायदा मिलेगा।