रक्षा मंत्रालय ने बताया कब भारत पहुंचेगी एस-400 की पहली खेप, खौफ़ खाएंगे देश के दुश्मन
लोकसभा में एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली पर पूछे गए सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने बताया कि कब एस-400 की पहली खेप भारत पहुंचेगी।
नई दिल्ली, एएनआइ। तुर्की के रूस से एस- 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के फैसले के कारण अमेरिका और तुर्की के बीच लगातार तनाव जारी है।इस बीच भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से एस-400 को लेकर बड़ा बयान दिया है। लोकसभा में एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली पर पूछे गए सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि, '5 अक्टूबर, 2018 को भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली को लेकर समझौता किया था। उन्होंने आगे कहा कि साल 2023 से भारत को एस-400 की डिलीवरी होनी शुरू हो जाएगी।'
Union MoS Defence, Shripad Naik on being asked in Lok Sabha the details of S-400 deal: A contract had been signed on 5 October, 2018 for delivery of S-400 system from Russia. The deliveries are likely to be made by April, 2023. (file pic) pic.twitter.com/QwOTUkNMT5
— ANI (@ANI) July 17, 2019
राष्ट्रीय मुद्राओं के जरिये भुगतान की तैयारी
भारत और रूस एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए तोड़ निकालने में जुटे हैं। इसी के चलते दोनों देशों के बीच पांच अरब के रक्षा सौदे के लिए अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं के जरिये भुगतान करने पर सहमति बनी है।सूत्रों के मुताबिक रूसी मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 की पहली किस्त इसी व्यवस्था के तहत भुगतान की जाएगी। मॉस्को के अधिकारी ने कहा कि अब भारत और रूस में रक्षा सौदे का भुगतान रूसी मुद्रा रूबल और भारतीय मुद्रा रुपये में करना तय किया गया है। हालांकि, डॉलर से भुगतान करने का रास्ता भी खुला रहेगा।
बता दें, अमेरिका द्वारा धमकी दिए जाने के बावजूद भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। राजनयिक सूत्रों ने कहा कि रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए अमेरिकी प्रतिबंध से छूट की शर्तों को भारत पूरा करता है। इस मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन के पास हमारे हित में छूट देने का पर्याप्त मौका है।
S-400 पर तुर्की-अमेरिका में तनाव जारी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तुर्की के रूस से एस- 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के फैसले के कारण अमेरिका उसे एफ- 35 लड़ाकू विमान नहीं बेचेगा। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला भारत के लिए संकेत भी हो सकता है क्योंकि भारत ने भी अमेरिका की सलाह के खिलाफ जाकर एस- 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए रूस से समझौता किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह सही नहीं था कि तुर्की के राष्ट्रपति रेजप तायिप एर्द्वां जब अमेरिका से जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली पैट्रिएट खरीदना चाहते थे तो ओबामा प्रशासन ने बेची नहीं। ट्रंप ने वॉइट हाउस में कैबिनेट मीटिंग के दौरान पत्रकारों से कहा, 'एक वक्त था जब तुर्की के संबंध हमारे साथ बहुत अच्छे थे, बहुत अच्छे। लेकिन अब हम तुर्की से कह रहे हैं कि चूंकि आपको अन्य मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए बाध्य किया गया, इसलिए अब हम आपको एफ-35 लड़ाकू विमान नहीं बेच रहे हैं।'