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Exclusive: राजनाथ सिंह बोले- भाजपा को मिलेगा पूर्ण बहुमत, फिर चौकाएंगे नतीजे

केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह पर एक खास जिम्मेदारी है ‘घोषणापत्र’ जिस पर हर किसी की नजर है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 10:51 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 10:51 AM (IST)
Exclusive: राजनाथ सिंह बोले- भाजपा को मिलेगा पूर्ण बहुमत, फिर चौकाएंगे नतीजे
Exclusive: राजनाथ सिंह बोले- भाजपा को मिलेगा पूर्ण बहुमत, फिर चौकाएंगे नतीजे

केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह आजकल आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कई मोर्चों पर व्यस्त हैं। एक खास जिम्मेदारी है ‘घोषणापत्र’ जिस पर हर किसी की नजर है। देशभर से लाखों की संख्या में आए जनता के सुझाव राम मंदिर से लेकर पाकिस्तान को सबक सिखाने की तैयारी तक हर मुद्दे पर हैं। राजनाथ सिंह से दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र, राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा और विशेष संवाददाता नीलू रंजन की विस्तृत बातचीत के प्रमुख अंश।

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मतदान में अब एक महीने का वक्त बचा है। भाजपा कितनी तैयार है?

- हम पूरी तरह से तैयार हैं। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारतीय जनता पार्टी को फिर से पूर्ण बहुमत मिलेगा।

अबकी बार तीन सौ के पार का नारा लग रहा है। यह कितना सच होगा?

-मैं आंकड़ों की बात नहीं करूंगा लेकिन पूर्ण बहुमत तो मिलेगा ही। राजग को पिछली बार जो नंबर आया था, उससे अधिक जाएंगे हम। भाजपा का अपना

प्रभाव है, हमारे साथ इस बार कुछ नए सहयोगी दल भी आए हैं। पिछली बार भी भाजपा के आकलन पर सवाल उठाए जा रहे थे। इस बार हम फिर से चौकाएंगे।

सिर्फ भाजपा की बात करें, तो पिछली बार कहा गया था कि नरेंद्र मोदी के नाम की सुनामी है। इस बार सुनामी से ज्यादा बड़ा क्या होगा जिसके दम पर पिछली बार से अधिक सीटों की बात कर रहे हैं?

-मैं कह सकता हूं कि पांच साल सरकार चलाने के कारण मोदी के प्रति और मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। 2014 की तुलना में भी। क्योंकि 2014 में अनुमान था कि नरेंद्र मोदी अच्छा कर सकते हैं। लोगों में यह उम्मीद थी। पांच साल में जिस तरह सबका साथ लेते हुए सबका विकास हुआ, हर स्तर पर विकास हुआ, नई सोच के साथ विकास हुआ, उसने लोगों के भरोसे पर मुहर लगा दी। उम्मीद अब विश्वास में बदल चुकी है।

जनता परख चुकी है कि मोदी ही विश्वसनीय सरकार दे सकते हैं। एक निर्णय करने वाली सरकार दे सकते हैं। देश को सही दिशा में ले जा सकते हैं। एक दूसरी बात भी है - सरकार चलाने का तौर-तरीका। जहां-जहां निर्णय लेने की आवश्यकता थी, वहां-वहां निर्णय लेने में सरकार ने रंचमात्र भी हिचक नहीं दिखाई। देश की आन-बान शान के लिए जोखिम वाले फैसले लेने में भी इस सरकार ने कोई संकोच नहीं किया।

अर्थव्यवस्था के आकार को लेकर भी देखा जाए, तो विश्व में हम पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं। पूरी दुनिया के अर्थशास्त्री यह भी बोलते हैं कि 2028 आते-आते भारत टॉप तीन में शामिल हो जाएगा। इस बार जनता परखने के लिए नहीं, परखी हुई सरकार को वोट देने आएगी।

लेकिन विपक्ष की ओर से दूसरा पहलू उठाया जा रहा है कि रोजगार घटा है, मंदी आई है बाजार में। समाज में थोड़ा सा बिखराव हुआ है।

-ना- ना- ना, इससे मैं पूरी तरह असहमत हूं। ये पूरी तरह निराधार है। विकास दर बढ़ी है, अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा है, भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, जो सारा विश्व मानता है तो फिर यह कैसे हो जाएगा कि पहले से कम रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। यह तो सच्चाई है कि सड़कें पहले से अधिक बनी हैं। गांव की भी और हाईवे भी। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पहले से अच्छा हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी बढ़त है। फिर विपक्ष आरोप किस आधार पर लगा रहा है। मैं जो कह रहा हूं वह तर्क पर आधारित है।

विपक्ष मनगढंत आरोप लगा रहा है। उनके पीछे कोई आधार नहीं है। चार करोड़ से अधिक लोगों ने पहली बार मुद्रा योजना के अंतर्गत लोन लिया है। उनको भी रोजगार मिला। उन्होंने भी कुछ लोगों को रोजगार दिया है। खामी है विपक्ष के देखने के नजरिये में। कौशल विकास के अंतर्गत एक करोड़ से ज्यादा को रोजगार मिला है। गांव में भी जाकर पूछिए ना। मैं तो गांव-गांव भी गया और लखनऊ की भी बात कर रहा हूं। लोगों से बातचीत की तो पता चला कि मिला है लोगों को। लोगों ने संतोष व्यक्त किया।

यानी कांग्रेस अध्यक्ष के सारे तर्क निराधार हैं? 

-ऐसे सभी लोग कभी भी आधार की बात नहीं बोलते हैं। बोलने के लिए दिमाग का इस्तेमाल करना पड़ता है। (हंसते हुए) क्यों भाई.. सबसे अपेक्षा भी नहीं करनी

चाहिए।

यदि भाजपा को इतना विश्वास था कि सही काम हो रहा है, तो चुनाव के आखिरी मौके पर आपको किसान कैसे याद आया? पहले क्यों नहीं?

- एक-एक कदम बढ़े हैं हम। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की। कृषि का लागत मूल्य कम करने के लिए हमने कई कदम उठाए। इसके लिए सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किया, ताकि पता चले की कितना खाद डालना चाहिए। कौन सा बीज डालना चाहिए। अब जाकर लगा कि किसानों को थोड़ी आर्थिक मदद भी चाहिए। साल में छह हजार रुपये की मदद दी।

दूसरी चीज असंगठित क्षेत्र में भी देखिए... उसमें क्या किया। पहले सबका खाता खुला, सबकी बैंक तक पहुंच हुई। आर्थिक समावेश सबका हो गया। उसके बाद यह कह दिया कि पांच-दस हजार रुपये की जरूरत हो तो महाजन के पास जाने की जरूरत नहीं है। बैंक जाओ, 10 हजार का ओवरड्राफ्ट ले लो। इलाज कराओ, जो आवश्यकता हो, उसे पूरा करो। बाद में उसे वापस कर दो। प्रधानमंत्री जन-धन योजना से ये भी फायदा हुआ कि आपको जो भी सब्सिडी, आर्थिक सहायता, जो भी मिलनी है वह सीधे आपके अकाउंट में पहुंच रही है। इससे एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।

बिचौलिए के हाथों में जो चीजें पहुंच जाती थीं, अब वह सरकार के पास है और उससे गरीबों की मदद हो रही है। इसके अलावा कई बीमा पॉलिसियां। महीने में एक रुपया जमा कीजिए, एक्सीडेंट की स्थिति में दो लाख रुपये की मदद मिलेगी। एक रुपया में तो पान भी नहीं मिलेगा। मोदी सरकार में सबकुछ संभव हो रहा है लेकिन विपक्ष को राजनीति से फुरसत कहां है। 

यानी पीएम-किसान योजना कांग्रेस की ऋण माफी घोषणा के जवाब में नहीं बल्कि पहले की सोच के आधार पर लाई गई?

- बिल्कुल। यह सकारात्मक सोच है और कांग्रेस की ओर से प्रस्तावित घोषणा से ज्यादा प्रभावी है। उन्होंने तो 50-52 हजार करोड़ रुपये माफ किया था। हम तो हर साल 75 हजार करोड़ दे रहे हैं। दस साल में साढ़े सात लाख करोड़ रुपये। यह चुनावी वादा नहीं है कि ऐन वक्त पर केवल अपने लाभ के लिए लाया जाए। हम तो ईमानदारी से किसान की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। दूसरी बात यह है कि आगे चलकर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

कितना बढ़ सकता है?

-कुछ भी हो सकता है भाई। हम देखेंगे। हमारा लक्ष्य है कि 2022 तक आते-आते किसान की आमदनी जितनी आज है उससे दोगुनी हो जाए। उसे हासिल करने के लिए जो भी जरूरी होगा, किया जाएगा। आज के दिन भी राज्य चाहें तो अपनी ओर से थोड़ी मदद जोड़ सकते हैं। कुछ राज्यों में किया भी जा रहा है।

आप संकल्प पत्र समिति (मेनीफेस्टो) के अध्यक्ष भी हैं। पिछली बार मतदान के दिन ही घोषणापत्र आया था। इस बार कब तक आ रहा है?

- इस बार पहले चरण के मतदान के काफी पहले इसकी घोषणा हो जाएगी।

कोई बड़ी घोषणा हो सकती है?

- इसकी एक प्रक्रिया है, लेकिन जिस तरह से जनसामान्य की सोच और आकांक्षा को घोषणापत्र में समाहित करने की कोशिश हो रही है, वह पहले कभी नहीं हुआ। यह सरकार हमेशा से यही कोशिश करती रही कि आखिरी व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। वह स्वाभिमान के साथ देश के विकास के साथ कदमताल कर सके।

भारत के मन की बात जानने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या पांच साल में आपको ऐसा लगा कि भारत की इच्छा-आकांक्षा को समझने में सरकार कहीं-कहीं चूक रही है?

-देखिये, आजाद भारत में यह सरकार एक ऐसी सरकार रही है, जिसने जनता की भावना को समझा ही नहीं है, बल्कि उसकी उम्मीदों को पूरा भी किया है। हमारे पांच साल के कार्यकाल के बाद जनता और क्या चाहती है, इसका भी तो मूल्यांकन होना चाहिए। हम उसकी जानकारी ले रहे हैं।

आपके घोषणापत्र में राम मंदिर हमेशा रहा है। अब उसमें मध्यस्थता की बात शुरू हो गई है। इसको आप कैसे देखेंगे?

- सुप्रीम कोर्ट ने एक पहल की है। मुझे लगता है कि इसको भी देखा जाना चाहिए। लंबा समय नहीं दिया है। दो महीने का समय दिया है। उसकी भी प्रतीक्षा करनी चाहिए, देखना चाहिए।

घोषणापत्र में यह किस रूप में रहेगा? 

-राम मंदिर बने। यह तो सबकी इच्छा है। कैसे आएगा, यह जब घोषणापत्र आएगा, तब की बात है।

राहुल गांधी ने केरल में कहा कि 50 फीसद महिलाओं को आरक्षण दिया जाना चाहिए और कांग्रेस आएगी तो देगी।

- पहले अपनी पार्टी में दें। मैने पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए अपनी पार्टी में महिलाओं को 33 फीसद का आरक्षण दिया था। पार्टी में आपने दिया ही नहीं, देश में आप क्या देंगे। पहले अपनी पार्टी में दें, उसके बाद देश में देने की बात करें। महिलाओं का सशक्तीकरण होना चाहिए और इस दिशा में हम लोगों ने बहुत काम किया है।

पिछली बार भी आपके घोषणापत्र में महिला आरक्षण था, लेकिन सरकार इस पर कदम बढ़ाती हुई दिखी नहीं?

- विपक्ष में बहुत दुविधा है। कई तरह की आवाजें उठती हैं उनके बीच से।

सरकार की ओर से कोई सार्थक पहल दिखी नहीं?

-नहीं, हम कनसेंसस बनाने का प्रयास करेंगे।


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