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केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा- जजों की नियुक्ति में मोदी सरकार डाकिया बनकर नहीं रहेगी

कानून मंत्री ने बताया कि हाईकोर्ट की नई पीठ का गठन तभी हो सकता है जब सरकार को उस हाईकोर्ट की मुख्य पीठ से इसके लिए सिफारिश मिले।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 08:16 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 08:16 PM (IST)
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा- जजों की नियुक्ति में मोदी सरकार डाकिया बनकर नहीं रहेगी

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जोर देकर कहा कि जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर सरकार की भूमिका केवल डाकिए की नहीं रहेगी। इस प्रक्रिया में सरकार की अपनी सहभागिता होगी और उसकी हां या ना की अहमियत होगी।

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जजों की नियुक्ति में सरकार की भी भागीदारी

रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति की एक प्रक्रिया होती है। वरिष्ठ जजों का एक कोलेजियम नियुक्त किए जाने वाले जजों के नामों की सरकार से सिफारिश करता है। उन्होंने कहा कि जजों की नियुक्ति में सरकार की भी भागीदारी है। हम सिर्फ डाकिया नहीं हैं और हमें भी इस विषय में अपनी बात कहने का अधिकार है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट में कुछ और जजों की नियुक्ति के मुद्दे को वह देखेंगे।

मेरठ में पीठ के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिफारिश नहीं मिली: प्रसाद

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसी भी हाईकोर्ट में नई पीठों का गठन उस हाईकोर्ट की मुख्य बेंच की सिफारिश से ही हो सकता है। प्रसाद ने कहा कि उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिफारिश मिलनी बाकी है ताकि उसकी एक और पीठ का गठन मेरठ में भी हो सके। अपने लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि मेरठ में खंडपीठ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता भी जरूरी है। इन दोनों के बिना एक नई पीठ की स्थापना संभव नहीं है।

नई खंडपीठ के लिए हाईकोर्ट और यूपी सरकार की सहमति जरूरी

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश के साथ ही सरकार को भी आधारभूत ढांचे की तैयारी पर सहमति देनी होगी। हाईकोर्ट प्रशासन को विधिवत प्रक्रिया पूरी करने के साथ ही उस प्रस्ताव पर राज्यपाल की भी मंजूरी लेनी होगी। फिलहाल केंद्र सरकार के पास हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार समेत किसी भी ओर से कोई सिफारिश नहीं मिली है। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक पीठ लखनऊ में पहले से ही है।

हाईकोर्ट यूपी सरकार से नई खंडपीठ के लिए सिफारिश करे

कानून मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के मुताबिक किसी भी हाईकोर्ट की नई पीठ का गठन तभी हो सकता है जब सरकार को उस हाईकोर्ट की मुख्य पीठ से इसके लिए सिफारिश मिले। इस संबंध में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता भी जरूरी है क्योंकि खंडपीठ के लिए जरूरी इमारतें, जजों के बंगले जैसे आधारभूत ढांचे की व्यवस्था वही करती है।


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