गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में मिलेगी नागरिकता, जानें- विधेयक का मकसद
पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक बड़े वर्ग का कहना है कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू किया जाता है तो पूर्वोत्तर के मूल लोगों के सामने पहचान और आजीविका का संकट पैदा हो जाएगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चार दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दे दी थी। इसके जरिये पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जा सकेगी।
क्या कहती है सरकार?
मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया है कि नागरिकता संशोधन बिल केंद्रीय सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों का लगातार उत्पीड़न हो रहा है। इसने उन्हें भारत में शरण लेने के लिए मजबूर किया। छह अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता देना मोदी सरकार की ‘सर्व धर्म समभाव’ की भावना परिलक्षित करता है।
क्या कहता है विपक्ष?
विपक्ष का सबसे बड़ा विरोध यह है कि इसमें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है। उनका तर्क है कि यह संविधान के खिलाफ है जो समानता के अधिकार की बात करता है।
विधेयक का मकसद
नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए लाया जा रहा है। इस बिल की मदद से अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न से भागकर भारत आए सिख, ईसाई, पारसी, जैन, बौद्ध और हिंदू समुदाय के लोगों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा।
ये दल कर रहे समर्थन व विरोध
कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सपा, आरजेडी, लेफ्ट और बीजेडी इस बिल के विरोध में हैं। वहीं भाजपा को उम्मीद है कि अकाली दल, जेडीयू, एआइडीएमके और असम गण परिषद इस बिल का समर्थन कर सकते हैं।
पूर्वोत्तर के लोग क्यों कर रहे विरोध
पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक बड़े वर्ग का कहना है कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू किया जाता है तो पूर्वोत्तर के मूल लोगों के सामने पहचान और आजीविका का संकट पैदा हो जाएगा।
पिछली बार हो गया था निष्प्रभावी
भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में लोकसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया था और इसे पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर में जबर्दस्त विरोध होने की वजह से इसे राज्यसभा में पेश नहीं कर पाई थी। लोकसभा के भंग होने की वजह से विधेयक निष्प्रभावी हो गया था।
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