EXCLUSIVE: करनल सिंह बोले- CBI से दो कदम आगे है ED, केस लेने के बाद देश से नहीं भागा कोई अपराधी
सीमाओं और अधिकारियों की कमी और काम के दबाव के बावजूद यह अहम उपलब्धि है।
नई दिल्ली। भ्रष्टाचार से की गई काली कमाई को जब्त करने और आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कारगर कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय सबसे अहम जांच एजेंसी के रूप में सामने आया है। मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के साथ-साथ अब भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून अवैध तरीके की गई काली कमाई को जब्त करने के लिए ईडी के दो बड़े हथियार हैं।
पिछले दो सालों में ईडी लालू यादव, पी चिंदबरम, विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसी हाईप्रोफाइल लोगों के खिलाफ कार्रवाई में सीबीआइ जैसी पुरानी जांच एजेंसी पर भी भारी साबित हुआ है।
ईडी निदेशक करनल सिंह ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता नीलू रंजन के साथ बातचीत में माना कि सीमाओं और अधिकारियों की कमी और काम के दबाव के बावजूद यह अहम उपलब्धि है।साक्षात्कार: पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत अब तक कुल कितनी संपत्ति जब्त की जा चुकी है?
-पीएमएल एक्ट 2002 में बना था। लेकिन 2005 में क्ति्रयान्वयन में आया, करीब 13 साल में मनी लांड्रिंग की 43 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।
मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून हाल के सालों में चर्चा में ज्यादा आया है?
-दरअसल 2005 से 2014 तक केवल 5,614 करोड़ रुपये की संपत्ति ही जब्त की गई थी। इसकी तुलना में पिछले चार सालों में 38,500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई। यानी इसमें 686 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह 2005 से 2014 तक केवल 100 सर्च हुई थी, जबकि पिछले चार सालो में 1000 सर्च हुई। वहीं पिछले चार सालों में 110 लोगों की और उससे पहले केवल 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। यही नहीं, जो पुराने लंबित केस थे, उन्हें पूरा करने पार जोर दिया गया जो मामले कोर्ट में लंबित थे, उनके ट्रायल में तेजी आई।
आर्थिक अपराधों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मनी लांड्रिंग के केस बड़ी संख्या में दर्ज हो रहे हैं, लेकिन उसकी तुलना में जांच के लिए अधिकारियों की संख्या नहीं बढ़ी है?
-हमारे पास 2068 स्वीकृत पद हैं। जिनमें अभी तक लगभग 1000 पद ही भरे हैं। 2015 में 618 लोग ही पदों पर थे। यानी पिछले तीन सालों में पदों पर भर्ती का काम भी तेज हुआ है। हर स्तर पर अधिकारियों की भर्ती पर जोर दिया है, साथ ही डेपुटेशन की जा रही है। हालांकि काम ज्यादा है।
निर्धारित से आधी क्षमता के बावजूद इतने सारे अहम मामलों की जांच कैसे करते हैं?
हमारे अधिकारी अपराधियों के कानून के शिकंजे में लेने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। वे हर दिन देर रात तक काम करते हैं। इसके साथ ही वे शनिवार और रविवार को भी दफ्तर आकर काम करते हैं।
इतनी उपलब्धियों और सतर्कता के बावजूद मेहुल चोकसी, विजय माल्या जैसे बड़े अपराधी देश से भागने में सफल रहे हैं। क्या विजय माल्या समेत इन बड़े अपराधियों को वापस लाया जा सकेगा?
-कोई भी अपराधी ईडी के केस हाथ में लेने के बाद नहीं भागा है, इससे पहले भागा होगा। जहां तक विजय माल्या का सवाल है। उस पर तुरंत एक्शन लिया गया। भगौड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ नए कानून के तहत भी विजय माल्या के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस कानून के तहत उसकी 13,500 करोड़ प्रापर्टी जब्त करने का प्रक्ति्रया जारी है। वहीं विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन की अदालत में मामले की सुनवाई हो रही है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है। रही मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की बात, घोटाला पर्दाफाश होने के पहले ही वे देश से भाग चुके थे। लेकिन उसके बाद उनके खिलाफ तेजी से कार्रवाई हुई। उनकी संपत्तियों को जब्त किया जा चुका है और दोनों के प्रत्यर्पण की कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है।
सीबीआइ के साथ-साथ ईडी पर भी सरकार के इशारे पर राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई के आरोप लगते रहे हैं। खासतौर पर लालू यादव और पी चिदंबरम के मामले में आरोप लग रहे हैं?
-किसी भी जांच एजेंसी का काम आरोपियों के खिलाफ सबूतों को इकट्ठा करना होता है। ईडी बिना किसी दवाब के सबूतों के आधार पर काम कर रही है। वैसे भी इन सभी सबूतों को अदालत के सामने पेश किया जाएगा। जहां उनकी सत्यता की परख की जाएगी।
2जी घोटाले में तो कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के सभी साक्ष्यों को खारिज करते हुए आरोपियों को बरी कर दिया?
-पीएमएल का एक मैकेनिज्म है। इसके तहत मूल अपराध की जांच दूसरी एजेंसी करती है। जबकि मनी लांड्रिंग की जांच ईडी करता है। यानी ईडी अपना केस तभी लड़ सकता है, जब मूल अपराध की जांच करने वाली एजेंसी अपना केस जीत जाए। 2जी घोटाले में भी यही हुआ। सीबीआइ के केस गिरने के कारण ईडी का केस भी खत्म हो गया। वैसे दोनों एजेंसियों ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है और उस पर सुनवाई चल रही है।
क्या आपको नहीं लगता है कि ईडी की मनी लांड्रिंग की जांच को दूसरी एजेंसियों की जांच से अलग कर दिया जाना चाहिए?
-अंतरराष्ट्रीय नियम है कि शेड्यूल अपराध और मनी लांड्रिंग का केस दोनो स्वतंत्र होने चाहिए। शेड्यूल अपराध पर मनी लांड्रिग का केस निर्भऱ नहीं होना चाहिए। 2013 का संशोधन किया गया है। इसके बाद मनी लांड्रिंग के मामले की शेड्यूल अपराध से अलग करके सुनवाई हो रही है, लेकिन अभी तक यह इश्यू सही से सेटल नहीं हुआ है।
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में वायुसेनाध्यक्ष समेत आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई। लेकिन शायद जहां तक मामले की जांच पहुंचनी चाहिए थी। वहां तक नहीं पहुंची। समस्या कहां है?
-अगस्तावेस्टलैंड केस की जांच भारत तक सीमित नहीं है। इसकी जांच दुबई, मॉरीशस, श्रीलंका समेत कई देशों तक फैली हुई है। कुछ अपराधी भारत से बाहर हैं। जांच के लिए उनकी पूछताछ की जरुरत है। मनी ट्रेल हमें मिल रही है। लेकिन यह कहां जा रही है, किस तरफ बढ़ी है। इसके लिए हमने लेटर रोगेटरी भेजे हैं, उसमें वक्त लगता है। कुछ जगह से जवाब आया है। कुछ जगह से जवाब आने का इंतजार कर रहे हैं। देरी किसी दबाव की वजह से नहीं हो रही है। जांच देश के बाहर तक फैली है। इस वजह से देरी हो रही है।