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स्वच्छ भारत अभियान में गड़बड़ी, साढ़े चार लाख शौचालय कहां बनें है किसी को नहीं पता

स्वच्छ भारत अभियान के तहत 62 लाख शौचालय निर्माण करवाने का दावा किया जा रहा है मगर स्वच्छागृही से जब घरों का सर्वे करवाया गया तो साढ़े चार लाख आवासों में शौचालय मिले ही नहीं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 10:03 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 10:03 PM (IST)
स्वच्छ भारत अभियान में गड़बड़ी, साढ़े चार लाख शौचालय कहां बनें है किसी को नहीं पता
स्वच्छ भारत अभियान में गड़बड़ी, साढ़े चार लाख शौचालय कहां बनें है किसी को नहीं पता

 भोपाल, जेएनएन। प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले 540 करोड़ रुपये के शौचालयों का घोटाला सामने आया है। यहां सरकारी रिकॉर्ड और कागजों पर साल 2012 से 2018 के दौरान 4.5 लाख शौचालय का निर्माण दिखाया गया है लेकिन हकीकत में इन टॉयलेट्स का निर्माण कभी हुआ ही नहीं। इन शौचालयों को वास्तव में तो कोई अस्तित्व नहीं है लेकिन कागजों पर यह जरूर मौजूद हैं। जब अधिकारियों द्वारा जांच की गई तो पाया गया कि 4.5 लाख शौचालय प्रदेश में बने ही नहीं थे। वेरिफिकेशन के लिए जिन शौचालयों की फोटो जमा की गई वह कहीं और के शौचालय थे। जांच अधिकारियों ने जब इन तस्वीरों को जीपीएस से टैग करने की कोशिश की तो यह पूरा मामला उजागर हुआ।

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मप्र में ऐसे 4.5 लाख शौचालय मार्क किये गए हैं जो केवल कागजों पर हैं। सरकार के लिए यह आंखें खोलने वाला मामला है। इस मामले में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा होने की बात सामने आई है। कई लोगों की पता ही नहीं था कि उनके नाम पर शौचालय का निर्माण हुआ है, वहीं सरकारी रिकॉर्ड में उनके घर पर ना सिर्फ शौचालय का निर्माण हुआ था बल्कि उस शौचालय की तस्वीर भी है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अब इस रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टरों के माध्यम से सत्यापन करवा रहा है। हालांकि, विभागीय अधिकारी रिपोर्ट के इन तथ्यों को पूरी तरह सही नहीं मान रहे हैं, क्योंकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि जिन घरों का सर्वे हुआ, वे उन 62 लाख हितग्राहियों के हैं या नए।

प्रदेश में वर्ष 2012 में बेसलाइन सर्वे हुआ था। इसमें 62 लाख हितग्राही ऐसे चिह्नित किए गए थे, जिनके घरों में शौचालय निर्माण होना था। इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रत्येक शौचालय के हिसाब से 12 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी। शुरुआती दौर में पंचायतों को राशि देकर निर्माण कार्य करवाए गए। इस दौरान गुना, सीहोर, रायसेन, सागर, टीकमगढ़, शिवपुरी, खंडवा, बालाघाट सहित अन्य जिलों में बड़े पैमाने पर शौचालय नहीं बनने, मगर भुगतान होने के मामले सामने आए। जांच के बाद जिला पंचायत से लेकर पंचायत सचिव तक पर कार्रवाई की गई और वसूली भी हुई।

प्रदेश में इस गड़बड़ी को रोकने के लिए हितग्राही के खाते में सीधे राशि डालने की व्यवस्था बनाई गई। पोर्टल पर फोटो भी अपलोड करवाई। भौतिक सत्यापन के लिए स्वच्छागृही नियुक्त कर सर्वे करवाया गया। इनकी रिपोर्ट में साढ़े चार लाख शौचालय नहीं होने की बात सामने आई। वहीं, दो लाख ऐसे हितग्राही भी चिह्नित किए गए, जिन्होंने प्रोत्साहन राशि तो ली पर निर्माण नहीं किया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2012 के बेसलाइन सर्वे में करीब साढ़े छह लाख परिवार छूट गए थे। इन्हें भी अब योजना में शामिल किया गया है, जो सर्वे हुआ है, उसमें कौन-कौन से परिवार शामिल हैं, इसकी पड़ताल करवाई जाएगी।

यादव ने की मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ से जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब मैं प्रदेश अध्यक्ष था, तब भी शौचालय घोटाले का मुद्दा उठाया था। वहीं, लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने ट्वीट कर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि बताएं, यह खेल किसने और किसकी शह पर किया। पूरे मामले की पड़ताल होनी चाहिए।


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