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कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर ट्रंप के बयान का असर पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर संभव

भारत व अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी मोदी के दोबारा पीएम बनने के बाद द्विपक्षीय रिश्तों के आगे का रोडमैप बनाने में जुटे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 08:39 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 08:39 PM (IST)
कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर ट्रंप के बयान का असर पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर संभव
कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर ट्रंप के बयान का असर पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर संभव

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कश्मीर पर मध्यस्थता संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान का असर पीएम नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा पर भी पड़ सकता है। पिछले महीने ही ओसाका (जापान) में मोदी और ट्रंप की मुलाकात हुई थी जिसमें मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा पर भी चर्चा हुई थी। कारोबार, रक्षा से लेकर रणनीति से जुड़े तमाम लंबित मुद्दों को देखते हुए दोनो देशों के अधिकारी इस बात पर राजी थे कि द्विपक्षीय मुलाकात में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।

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तय किया गया कि सितंबर, 2019 में मोदी वाशिंगटन की यात्रा करें और उसके अगले महीने अमेरिका में ही दोनो देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों का समूह 'टू प्लस टू' वार्ता आयोजित की जाए।

जानकारों की मानें तो आगामी दोनो बैठकों को द्विपक्षीय रिश्तों को तेज गति देने के लिहाज से अहम माना जा रहा था, लेकिन अब देखना होगा कि ट्रंप के बेहद गैर जिम्मेदाराना बयान के बाद दोनो देशो के अधिकारी किस तरह से रिश्तों की गाड़ी आगे बढ़ाते हैं।

भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा समेत कई वरिष्ठ कूटनीतिक जानकारों ने यह आशंका जताई है कि इस तरह के बयान का असर द्विपक्षीय रिश्तों पर पड़ सकता है। वर्मा ने न्यूज एजेंसी को कहा है कि, राष्ट्रपति ट्रंप ने बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।

दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ व अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी के मुताबिक, अमेरिका ने पहले भी इस तरह की पेशकश की है जो किसी काम का साबित नहीं हुआ और इस बार भी इसका कोई नतीजा नहीं निकलेगा।

अमेरिकी कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य ब्रैड शेरमैन ने कहा है कि उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के बचकाने व शर्मिदगी देने वाले बयान के लिए भारतीय राजदूत हर्ष शिंगला से माफी मांग ली है। भारत कश्मीर पर हमेशा से तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोधी रहा है। सभी को मालूम है कि पीएम मोदी इस तरह का सुझाव नहीं दे सकते हैं।

ट्रंप के बयान के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण व केंद्रीय एशिया मामलों से संबंधित विभाग के उप सचिव एलिस वेल्स को यह बयान देना पड़ा कि कश्मीर दोनो पक्षों के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है। ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान व भारत के बीच मिल बैठ कर इसका समाधान निकालने का स्वागत करता है। अमेरिका इसमें सहयोग देने को तैयार है।

इस बयान को हालात को संभालने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। भारत के पूर्व राजनयिक विष्णु प्रकाश के मुताबिक इस बयान से द्विपक्षीय रिश्तों पर तो असर नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत व अमेरिका के अधिकारियों को ट्रंप के इस तरह के बयानबाजी के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।

भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी चिंता में हैं कि क्या इस तरह के बयानबाजी से निपटने की कोई स्थाई रणनीति बनानी होगी। क्योंकि पिछले एक महीने में राष्ट्रपति ट्रंप का यह दूसरा बयान है जिसने रिश्तों को असहज किया है।

ओसाका में पीएम मोदी से मुलाकात से सिर्फ 24 घंटे पहले ट्रंप ने भारत में अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाले सीमा शुल्क पर काफी तल्खी भरा बयान दिया था। उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा था, ऐसा नहीं चलेगा। भारत को सीमा शुल्क घटाना होगा। हालाकि मोदी के साथ उनकी मुलाकात काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। हालांकि दोनो देशों के अधिकारियों को इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। कुछ ऐसा ही कश्मीर पर बयान से बन गया लगता है।

भारत व अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी मोदी के दोबारा पीएम बनने के बाद द्विपक्षीय रिश्तों के आगे का रोडमैप बनाने में जुटे हैं। कारोबार से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और रक्षा सौदों को अंतिम रूप देने के लिए दोनो पक्षों के बीच लगातार बैठकें चल रही हैं। इसका मकसद यही है कि मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली बातचीत के बाद कुछ बड़ी घोषणाएं हो सके।


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