Move to Jagran APP

सीमावर्ती जिला बाड़मेर में पुलिस अधीक्षक की कुर्सी बनी गहलोत सरकार के लिए मुसीबत

आईपीएस अधिकारियों का मानना है कि बाड़मेर पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर ग्रहण लग गया इस कारण वहां कोई अधिकारी लंबे समय तक नहीं टिक पाता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 01:22 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 01:22 AM (IST)
सीमावर्ती जिला बाड़मेर में पुलिस अधीक्षक की कुर्सी  बनी गहलोत सरकार के लिए मुसीबत
सीमावर्ती जिला बाड़मेर में पुलिस अधीक्षक की कुर्सी बनी गहलोत सरकार के लिए मुसीबत

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान का सीमावर्ती बाड़मेर जिला प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार के लिए मुसीबत बन गया है। चार दिन पूर्व पुलिस हिरासत में मौत के बाद अब कोई भी भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी (आईपीएस) बाड़मेर का पुलिस अधीक्षक नहीं बनना चाहता है। इसका प्रमुख कारण 20 माह में 7 पुलिस अधीक्षकों का बदलना है।

loksabha election banner

बाड़मेर पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर लगा ग्रहण

आईपीएस अधिकारियों का मानना है कि बाड़मेर पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर ग्रहण लग गया, इस कारण वहां कोई अधिकारी लंबे समय तक नहीं टिक पाता है। तीन पुलिस अधीक्षकों को अलग-अलग घटनाओं के चलते पदस्थापन आदेश की प्रतिक्षा में (एपीओ) किया गया है।

पुलिस कप्तान का पद खाली रखना सरकार पर सवालिया निशान

पाकिस्तान सीमा से सटे बाड़मेर जिले में तीन दिन से पुलिस अधीक्षक और उप अधीक्षक के पद खाली होना बड़ी मुश्किल पैदा कर सकता है। सीमा पार से आए दिन होने वाली घुसपैठ और तस्करी की घटनाओं के बीच पुलिस कप्तान का पद खाली रखना सरकार के कामकाज के तरीके पर सवालिया निशान लगा रहा है।

सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से सक्रियता दिखाने को कहा

बाड़मेर के दलित युवक के पुलिस थाने में हिरासत में लेने और गुरूवार को उसकी मौत होने के बाद से लेकर रविवार तक सरकार द्वारा कोई कठोर निर्णय नहीं लेने पर सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से सक्रियता दिखाने को कहा है।

इंटेलिजेंस एजेंसियों ने कहा- बाड़मेर पुलिस अधीक्षक का पद शीघ्र भरा जाए

इंटेलिजेंस एजेंसियों की तरफ से इस बारे में प्रदेश के गृह विभाग को रिपोर्ट भेजी है कि शीघ्र पुलिस अधीक्षक पद पर किसी वरिष्ठ अधिकारी को लगाया जाना चाहिए। जानकारी के अनुसार 20 माह जो पुलिस अधीक्षक बाड़मेर में लगे और हटे उनमें गगनदीप सिंगला, मनीष, अग्रवाल, राहुल बारहठ, राशि डोगरा, शिवजीराम मीणा और शरद चौधरी शामिल है। इनमें सिंगला 20 जुलाई 2018 को सिंगला का तबादला हुआ, 23 नवंबर 2018 को मनीष अग्रवाल को एपीओ किया गया। इसके बाद 8 जनवरी 2019 को राहुल बारहठ का तबादला हुआ, 5 जून 2019 को राशि डोगरा का तबादला हुआ, 22 सितंबर 2019 को शिवजी राम मीणा एवं 27 फरवरी 2020 को एपीओ किए गए।

चार दिन बाद हुआ मृतक का पोस्टमार्टम

बाड़मेर में चार दिन पूर्व पुलिस हिरासत में हुई जितेंद्र खटीक की मौत को लेकर चल रहा गतिरोध रविवार शाम को समाप्त हो गया। गतिरोध खत्म कराने को लेकर अधिकारियों के नाकाम होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक बाबूलाल नागर को मृतक के परिजनों से बातचीत का जिम्मा सौंपा। पांच दौर की बातचीत मे बाद मृतक के परिजनों और सरकार के बीच समझौता हो गया।

मृतक के आश्रितों को 25 लाख और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी

सरकार ने मृतक के आश्रितों को 25 लाख रुपए और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का वादा किया तो चार दिन से धरने पर बैठे लोग शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार करने को तैयार हो गए । उल्लेखनीय है कि चोरी के एक मामले में बाड़मेर ग्रामीण थाना पुलिस ने जितेंद्र खटीक को बुधवार दोपहर में हिरासत में लिया था।

पुलिस हिरासत में हुई थी जितेंद्र खटीक की मौत

गुरुवार को पुलिस थाने में ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद से मृतक के परिजन और ग्रामीण धरने पर बैठ गए। भाजपा ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया। ये लोग मृतक के आश्रितों को एक करोड़ का मुआवजा,सरकारी नौकरी और मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.