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त्रिपुरा में चुनाव टालने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, कानून मंत्री बोले- टीएमसी की साजिश हुई नाकाम

त्रिपुरा के कानून मंत्री ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस यह अच्छी तरह से जानती है कि 25 नवंबर को होने वाले चुनावों में वे अपना खाता तक नहीं खोल पाएगी। हार की शर्मिंदगी से बचाने के लिए ही टीएमसी ने अदालत में कई याचिकाएं दायर की हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 09:44 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 09:44 AM (IST)
त्रिपुरा में चुनाव टालने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, कानून मंत्री बोले- टीएमसी की साजिश हुई नाकाम
त्रिपुरा में 25 नवंबर से निकाय चुनाव होने हैं।

अगरतला, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा में स्थानीय निकाय चुनाव टालने से इन्कार कर दिया है। राजनीतिक हिंसा का हवाला देते हुए तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में निकाय चुनाव टालने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना जरूरी नहीं है। कोर्ट के फैसले पर त्रिपुरा के कानून मंत्री ने कहा कि टीएमसी की साजिश नाकाम हो गई है। बता दें कि त्रिपुरा में 25 नवंबर से निकाय चुनाव होने हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिपुरा के कानून मंत्री रतन लाल नाथ ने मंगलवार को कहा कि टीएमसी द्वारा नगर निकाय चुनावों को स्थगित करने की साजिश रची गई थी। त्रिपुरा में चुनाव को टालने की उसकी याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया।

कानून मंत्री ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस यह अच्छी तरह से जानती है कि 25 नवंबर को होने वाले चुनावों में वे अपना खाता तक नहीं खोल पाएगी। हार की शर्मिंदगी से बचाने के लिए ही टीएमसी ने अदालत में कई याचिकाएं दायर की हैं। उनकी याचिकाओं का एकमात्र मकसद न्यायपालिका के जरिए चुनाव स्थगित करना है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव स्थगित करने की पार्टी द्वारा रची गई साजिश को विफल कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए नाथ ने कहा कि हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं जिसने संवैधानिक पवित्रता को बरकरार रखा है और चुनावों के पक्ष में आदेश दिया है। त्रिपुरा में त्योहार की भावना से चुनाव कराने का इतिहास रहा है और यह इन निकाय चुनावों में भी ऐसा ही रहेगा।

यदि चुनाव आयोग चुनाव समय सारिणी घोषित करता है तो आम तौर पर न्यायालय चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता है। दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में, चुनाव कार्यक्रम में संशोधन का सुझाव दिया जाता है। पश्चिम बंगाल में काफी समय पहले ऐसी स्थिति सामने आई थी जब सुरक्षा बलों की तैनाती में कुछ दिक्कतें आई थीं, नहीं तो हाल के दिनों में ऐसे मामले सामने नहीं आए थे। अनुच्छेद 243 (जेड) (जी) और अगरतला नगर अधिनियम के तहत, न्यायालय ने निर्देशों के एक सेट के साथ चुनाव के पक्ष में अपना आदेश पारित किया।

त्रिपुरा के महाधिवक्ता सिद्धार्थ शंकर डे ने कहा किआम तौर पर अदालत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करती है। दुर्लभ मामलों में भी चुनाव कार्यक्रम में संशोधनों का सुझाव दिया जाता है। उनके अनुसार, कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को सुरक्षा के आवश्यक इंतजाम करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है किअगर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात करने की आवश्यकता है तो राज्य चुनाव आयोग राज्य के पुलिस प्रमुख और IG कानून व्यवस्था से परामर्श कर सकता है।


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