ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दी तत्काल तीन तलाक रोधी कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तत्काल तीन तलाक को दंडनीय अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) ने तत्काल तीन तलाक को अवैध और अपराध करार देने वाले 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम-2019' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दी तत्काल तीन तलाक कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अधिशासी कमेटी के सदस्यों ने सोमवार को तीन तलाक को दंडनीय अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की है। कमेटी के सदस्य कमल फारुकी ने बताया कि संसद में पारित किया गया मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम-2019 असंवैधानिक है। चूंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 20, 21, 25 और 26 का उल्लंघन करता है। इस कानून के चलते तीन तलाक बोलना अपराध माना जाएगा।
इस कानून से संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन होता है
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह कानून मनमाना, अवांछित और गलत तरीके से तीन तलाक को अपराध करार देता है। इससे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन होता है। इससे एक नागरिक की निजता का उल्लंघन होता है। नए कानून के तहत तलाक-ए-बिद्दत होने की जानकारी पति या पत्नी की मर्जी के बगैर पत्नी से संबंधित कोई भी व्यक्ति दे सकता है। इसमें पत्नी के रक्त संबंधी से लेकर शादी से जुड़े रिश्तेदार भी शामिल हैं।
इस कानून के जरिए प्रतिष्ठा और निजता के अधिकारों को क्षति पहुंचती है
इस कानून के जरिए शादी से जुड़ी बेहद आंतरिक बातें भी सार्वजनिक हो जाती हैं। लिहाजा, इससे प्रतिष्ठा और निजता के अधिकारों को भी क्षति पहुंचती है। याचिका में कहा गया है कि विगत 31 जुलाई को केंद्र की ओर से पारित किया गया था। इस कानून के जरिए तत्काल तीन तलाक देने वाला शौहर तीन साल की कैद का हकदार होगा।
तत्काल तीन तलाक पर संसद से पास हुआ कानून शरीयत में हस्तक्षेप है
अक्टूबर की शुरुआत में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दारुल उलूम नदवातुल उलमा में एक बैठक में फैसला किया था कि बोर्ड इस कानून के खिलाफ रिट याचिका दायर करेगा। बोर्ड की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया था कि तत्काल तीन तलाक पर संसद से पास हुआ कानून शरीयत में हस्तक्षेप है।
यह कानून संविधान के और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है
यह कानून संविधान के और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। इससे बच्चों और औरतों का लाभ भी प्रभावित होता है। बोर्ड ने कहा था कि ऐसे में वह इस इस कानून के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।