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तोमर ने कहा- कृषि संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ कदम ताल मिलाने को तैयार

किसानों को संकटपूर्ण स्थिति से उबारने की जरूरत है। आर्थिक व तकनीकी मदद करानी होगी। खेती को मुनाफे का कारोबार बनाने के सार्थक प्रयास होने चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 09:18 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 09:18 PM (IST)
तोमर ने कहा- कृषि संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ कदम ताल मिलाने को तैयार
तोमर ने कहा- कृषि संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ कदम ताल मिलाने को तैयार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने और किसानों की मुश्किलों को आसान बनाने के लिए राज्यों के सहयोग से केंद्र रणनीति बनाएगा। इसके लिए केंद्र ने राज्यों से पुख्ता सुझाव मांगे हैं। राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक में केंद्रीय कृषि व कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से बिगड़ती खेती पर चिंता जताई। उन्होंने राज्यों के कृषि मंत्रियों से किसानों को जागरुक बनाने के साथ उन्हें आधुनिक टेक्नोलॉजी मुहैया कराने पर बल दिया।

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कृषि मंत्री ने कृषि क्षेत्र की बिगड़ी दशा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा 'इस क्षेत्र को जितनी प्रधानता दी जानी चाहिए थी, उतनी नहीं मिली। नतीजतन, खेती उपेक्षा की शिकार रही।' किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों के अनुसंधान और सरकार की कोशिशों से देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर जरुर हो गया, लेकिन किसान के जीवन में बहुत सुधार नहीं हुआ है। अगर ऐसा न होता को किसान भी अपने बेटे को खेती से दूर रखने की बात नहीं सोचता।

किसानों को इस संकटपूर्ण स्थिति से उबारने की जरूरत है। आर्थिक व तकनीकी मदद करानी होगी। खेती को मुनाफे का कारोबार बनाने के सार्थक प्रयास होने चाहिए। तोमर ने कहा कि केंद्र व राज्य एक साथ काम करें तो सफलता मिल सकती है। अत्यधिक दोहन से होते सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर अफसोस जताते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि मिट्टी की उर्वरता व सिंचाई के पानी की कमी के मद्देनजर जैविक खेती पर जोर देना होगा। लेकिन इसके लिए जरूरी टेक्नोलॉजी और जागरुकता की आवश्यकता है।

बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत एक दर्जन प्रमुख राज्यों के कृषि मंत्रियों ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, ई-मंडी और मंडी कानून जैसे विषयों पर चर्चा हुई। हरियाणा के साथ कई प्रदेशों ने राज्य विशेष के आधार पर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग भी उठाई। महानगरों के आसपास के राज्यों के किसानों को अलग तरह की सुविधाएं करानी होगी।

उत्तर प्रदेश ने राज्य में किसान क्रेडिट बनाने की राह में बैंकों को ही सबसे बड़ा रोड़ा माना। कमोबेश यही हालत असम और हिमाचल प्रदेश में यह समस्या गंभीर है। गन्ना उत्पादक राज्यों में भुगतान के तरीके को लेकर भी चर्चा हुई। महाराष्ट्र ने कपास के एमएसपी को लेकर भी किसानों की समस्या का जिक्र किया।

कृषि मंत्री तोमर ने इसी दौरान उपज बढ़ाने के साथ उचित मूल्य दिलाने के मसले पर सरकार का पक्ष रखा। धान व गन्ना जैसी खेती में बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है, जो जीवन पर भारी पड़ने लगी है।

उन्होंने हरियाणा की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां की सरकार ने धान की जगह मक्का खेती को प्रोत्साहित करना शुरु कर दिया है। किसानों को अब घरेलू जरूरतों के साथ वैश्विक जरूरतों के हिसाब से खेती करनी होगी। केंद्र राज्य सरकारों के सहयोग से किसानों को हर संभव मदद मुहैया कराने को तैयार है।


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