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'गांधी' सरनेम की वजह से 'राहुल' की जिंदगी हुई दुश्वार, अब नहीं मिलता लोन और ना ही सिम कार्ड

नाम राहुल और सरनेम भी लगा रहे गांधी इस वजह से हर काम में या तो उनका मजाक उड़ाया जा रहा है या फिर उन्हें फेक आइडेंटिटी वाला व्यक्ति करार दिया जा रहा है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 06:06 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 09:34 PM (IST)
'गांधी' सरनेम की वजह से 'राहुल' की जिंदगी हुई दुश्वार, अब नहीं मिलता लोन और ना ही सिम कार्ड
'गांधी' सरनेम की वजह से 'राहुल' की जिंदगी हुई दुश्वार, अब नहीं मिलता लोन और ना ही सिम कार्ड

इंदौर, पीटीआइ। 'राहुल गांधी अब दिल्ली छोड़ कर मध्य प्रदेश के इंदौर आ गए हैं क्या?' ऐसा हम नहीं, बल्कि यहां लोग एक युवक से पूछ रहे हैं। राहुल गांधी देश की सबसे बड़ी कांग्रेस का प्रमुख चेहरा हैं। अभी फिलहाल वे संगठनात्मक चुनौतियों से जूझ रहे हैं, लेकिन इंदौर में 22 वर्षीय युवक राजनीतिक कारणों से नहीं, बल्कि उनके चर्चित नाम की वजह से चिंतित है।

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नाम राहुल और सरनेम भी लगा रहे गांधी। इस वजह से हर काम में या तो उनका मजाक उड़ाया जा रहा है या फिर उन्हें फेक आइडेंटिटी वाला व्यक्ति करार दिया जा रहा है। यह युवक दूसरों को आश्वस्त कर रहा है कि मैं 'फेक' व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन कोई समझ ही नहीं रहा। कठिनाइयों का सामना कर रहा है और यह कपड़ा व्यापारी अब प्रसिद्ध उपनाम से छुटकारा पाना चाहता है।

अखंड नगर निवासी राहुल ने मंगलवार को पीटीआई को बताया, 'मेरे पास मेरी पहचान के एकमात्र दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड है। जब मैं मोबाइल सिम कार्ड खरीदने के लिए या किसी अन्य काम के लिए इस दस्तावेज़ की एक कॉपी देता हूं, तो लोग मुझे मेरे नाम के कारण नकली व्यक्ति मानते हैं ... वे मुझे संदेह की नजर से देखते हैं'।

वहीं, इंदौर निवासी राहुल ने कहा कि जब वे किसी से फोन पर बात करना चाहते हैं और उन्हें अपना नाम बताते हैं तो उनमें से कई अचानक पूछते हैं, 'राहुल गांधी दिल्ली से इंदौर कब रहने आ गए?' और वे मुझे फर्जी कॉल करने वाला मानकर फोन कट कर देते है। बताया गया कि लोन के लिए जब फोन किया गया तो लोन कंपनी ने अच्छे से बात तो की, लेकिन जब तक कि उन्हें नाम ना पता चल गया। जैसे ही नाम राहुल गांधी बोला तो कॉल पर हंसने लगी कर्मचारी।

अपने 'गांधी' उपनाम के पीछे की कहानी का खुलासा करते हुए, इंदौर निवासी राहुल ने बताया कि बीएसएफ के शीर्ष अधिकारी उनके स्वर्गीय पिता राजेश मालवीय (जो अर्धसैनिक बल में वॉशरमैन के रूप में काम करते थे) को 'गांधी' के रूप में संबोधित करते थे। 'धीरे-धीरे, मेरे पिता ने भी गांधी उपनाम के प्रति लगाव विकसित किया और इसे अपनाया। जब मुझे स्कूल में भर्ती कराया गया, तो मेरा नाम 'राहुल मालवीय' की जगह 'राहुल गांधी' के रूप में दर्ज किया गया है'।

कक्षा पांच से ड्रॉपआउट राहुल ने कहा कि उन्हें पार्टी और राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन अपने उपनाम की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, अब इंदौर निवासी राहुल का कहना है, 'मैं अब कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से अपना उपनाम बदलने पर विचार कर रहा हूं'।

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